नई दिल्ली। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट परिसर में 2 नवंबर को दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच घटना के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल किए दोनों आवेदनों का कुछ सुझावों के साथ निपटाया कर दिया। मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने कहा कि तीन नवंबर को कोर्ट द्वारा दिए फैसले में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि आदेश में स्प्ष्ट किया गया था कि सभी निर्देश 2 नवंबर की घटना से जुड़े हैं, साथ इन आदेशों का जांच कर रही कमेटी पर कोई प्रभाव नहीं होगा।
दरअसल, तीस हजारी अदालत परिसर में 2 नवंबर को हुई हिंसक झड़प के मामले में अधिवक्ताओं के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई और गिरफ्तारी पर रोक लगाने के दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले पर केंद्र सरकार ने हाई कोर्ट में आवेदन दाखिल किया है इस पर सुनवाई के दौरान गृह मंत्रालय और बार एसोसिएशन की ओर से पक्ष रखा गया। याचिका में केंद्र ने कहा था कि हाई कोर्ट द्वारा रविवार को दिया गया फैसला इससे जुड़ी अन्य घटनाओं पर लागू नहीं होना चाहिए।
आवेदन पर मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने बार काउंसिल आफ इंडिया (बीसीआइ), दिल्ली बार काउंसिल समेत सभी जिला अदालतों के बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर बुधवार तक जवाब मांगा था। इस मामले में बुधवार को सुनवाई हुई। मुख्य पीठ ने कहा था कि पूरे मामले का सौहार्दपूर्ण तरीके से हल निकलना चाहिए।
केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल मनिंदर आचार्य ने कहा कि तीन नवंबर को दिए गए फैसले को स्पष्ट किए जाने की जरूरत है। केंद्र सरकार ने यह आवेदन सोमवार को साकेत कोर्ट के बार एक पुलिसकर्मी व एक नागरिक की अधिवक्ताओं द्वारा पिटाई करने के मामले में दिया है। इसमें कहा कि रविवार को दिया गया आदेश शनिवार की घटना पर था। लेकिन बीते दो दिनों में भी कुछ घटनाएं हुई हैं। ऐसे में अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई न करने के फैसले को स्पष्ट करने की जरूरत है। ताकि शांति एवं कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कार्रवाई करने में बाधा न हो।
मामले में पुलिस ने दो रिपोर्ट दर्ज की हैं। इधर कुछ अधिवक्ताओं ने भी हाई कोर्ट पहुंचकर साकेत कोर्ट परिसर में हुई हालिया घटना से जुड़े वीडियो को मीडिया द्वारा दिखाए जाने पर रोक लगाने की मांग की है। उनकी दलील थी कि इससे माहौल और खराब हो रहा है। इस मांग को पीठ ने ठुकरा दिया और कहा कि पूरे मामले की सुनवाई बुधवार को विस्तार से की जाएगी। वहीं बीसीआइ के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र ने कहा कि पूरे मामले को हल करने की कोशिश की जा रही है। एक-दो दिन में स्थिति सामान्य कर ली जाएगी। लेकिन, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मामले को लेकर भड़काऊ पोस्ट सोशल मीडिया पर कर रहे हैं और मीडिया में बयान दे रहे हैं। बार एसोसिएशन ने आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि अधिवक्ताओं को प्रताड़ित करने के लिए पुलिस राहत की मांग कर रही है। यही वजह है कि अधिवक्ताओं की छवि को खराब करने के लिए वीडियो को फैलाया जा रहा है। सिर्फ एक घटना के कारण पूरे अधिवक्ता संघ को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।