पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के लिए शनिवार को जब भारत से श्रद्धालुओं का पहला जत्था रवाना होगा, तो 72 सालों से की जा रही सिखों की अरदास पूरी हो जाएगी। श्री गुरु नानक देव जी से जुड़े गुरुधाम के दर्शन कर उनकी आंखें निहाल हो सकेंगी। उनकी यह अरदास 550वें प्रकाश पर्व पर सुन ली गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को जब गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक में बनाए गए कॉरिडोर के पैसेंजर टर्मिनल का उद्घाटन करेंगे, तो यह तमाम सिखों और नानक नाम लेवा के लिए ऐतिहासिक पल होगा। श्रद्धालु पिछले 72 वर्षों से दूरबीन से गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन कर रहे थे, लेकिन अब वे कॉरिडोर के माध्यम से गुरुद्वारा साहिब जाकर वहां नतमस्तक हो सकेंगे।
1947 में भारत-पाक बंटवारे के बाद श्री ननकाना साहिब, श्री पंजा साहिब और श्री करतारपुर साहिब जैसे कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे पाकिस्तान में रह जाने के कारण इन पवित्र स्थानों के दीदार सिखों के लिए दुर्लभ हो गए थे। ऐसे में नितनेम के बाद सुबह-शाम की जाती अरदास में सिख पंथ ने इन पंक्तियों को जोड़ा- ‘श्री ननकाना साहिब ते होर गुरुद्वारेयां, गुरुधामां दे, जिनां तों पंथ नूं विछोडय़ा गया है, खुले दर्शन दीदार ते सेवा संभाल दा दान खालसा जी नूं बख्शो।’ इसका मतलब है- श्री ननकाना साहिब और बाकी गुरुद्वारे या गुरुधाम जो बंटवारे के चलते पाकिस्तान में रह गए उनके खुले दर्शन सिख कर सकें,यह प्रार्थना है। हर साल केवल तीन-चार मौकों पर ही दो-चार हजार लोगों को पाकिस्तान जाने की इजाजत थी।
वहीं, अरदास से उपरोक्त पंक्तियों को हटाने पर एसजीपीसी की पूर्व प्रधान बीबी जगीर कौर कहती हैं, ‘अरदास में कोई बदलाव नहीं होगा। यह विचार ही गलत है। यह विषय सिंह सहिबान के अधिकार क्षेत्र का है। अभी तो सैकड़ों गुरुद्वारे पाकिस्तान में हैं। यह अरदास लगातार जारी रहेगी।’
एसजीपीसी की धर्म प्रचार कमेटी के पूर्व सचिव बलविंदर सिंह जौड़ासिंघा व एसजीपीसी के प्रवक्ता कुलविंदर सिंह रमदास ने कहा कि श्री करतारपुर साहिब के दर्शन करने की अनुमति मिल गई है, लेकिन आज भी बहुत से धार्मिक स्थान हैं, जिनके आम सिख श्रद्धालु दीदार नहीं कर सकते। श्री अकाल तख्त साहिब के आदेशों के बिना बदलाव नहीं हो सकता।