लखनऊ। समाजवादी पार्टी में विधानसभा उम्मीदवारों के नाम 20 नवंबर के बाद तय होंगे। फिलहाल सर्वे व विभिन्न स्तरों से मिले फीडबैक व जातीय गणित के आधार पर दावेदारों की टॉप 10 सूची तैयार की जा रही है। पहले चरण में 30 विधायकों समेत लगभग 100 सीटों पर उम्मीदवारों का एलान किया जाएगा। इससे पहले गठबंधन की गणित सुलझाई जाएगी।
वर्तमान में प्रदेश में सपा के 48 विधायक हैं, लेकिन एक विधायक के भाजपा में जाने के बाद 47 ही बचे हैं। इनके सीटों को छोड़कर अन्य सभी सीटों पर चुनाव लड़ने वालों से आवेदन मांगे गए हैं। ज्यादातर विस क्षेत्रों में 30 से अधिक लोगों ने आवेदन किया है। पूर्वांचल की 15 सीटों पर 60 से 80 आवेदन मिले हैं। इनके अलावा पार्टी ज्वाइन करने वाले भी आवेदन कर रहे हैं। अब तक करीब 18 हजार आवेदन मिल चुके हैं। इसमें करीब पांच हजार आवेदन महिलाओं के हैं।
सूत्रों के मुताबिक आवेदकों द्वारा जमा किए गए शुल्क का मिलान किया जा चुका है। विधानसभा क्षेत्रवार आवेदकों की सूची के आधार पर टॉप 10 सूची बनाने के लिए पार्टी हाईकमान ने मानक तय किए गए हैं। वहीं जहां कम दावेदार हैं वहां टॉप तीन की सूची बनेगी। इसमें क्षेत्र में पकड़ रखने वाले, स्वच्छ छवि, बेहतरीन शैक्षिक व सियासी कैरियर वालों को तरजीह दी जाएगी।
इन मानकों के आधार पर पार्टी हाईकमान उम्मीदवार के नाम पर मंथन करेगा। इसके बाद अंतिम सूची बनाई जाएगी। यह कार्य 20 नवंबर के बाद होगा। पार्टी के रणनीतिकारों का कहना है कि कुछ मौजूदा विधायकों का टिकट कट सकता है तो कुछ का चुनाव क्षेत्र बदला जा सकता है। इनमें वे विधायक होंगे, जिन्होंने किसी न किसी रूप में सपा की छवि प्रभावित किया है या उन पर दगाबाजी का आरोप लगा है।
स्थानीय उम्मीदवारों को तरजीह देगी पार्टी
सपा हर सीट पर फूंक-फूंक कर कदम रखने के साथ ही गठबंधन के जरिए सियासी ताकत को भी बढ़ाने में जुटी है। पार्टी के रणनीतिकार चाहते हैं कि गठबंधन में सीटों का बंटवारा तय होने के बाद उम्मीदवारों की घोषणा करना बेहतर होगा। क्योंकि इस बार उम्मीदवार घोषित होने के बाद उसे बदला नहीं जाएगा। इससे लोगों में पार्टी के प्रति सकारात्मक संदेश जाएगा। वहीं, सूत्रों का कहना है कि सपा टिकट देने में स्थानीय उम्मीदवारों को तरजीह देगी। उम्मीदवार का विधानसभा क्षेत्र भले बदल जाए, लेकिन किसी जिले के नेता को दूसरे जिले की विधानसभा सीट पर उतारने से परहेज किया जाएगा।