लाहौर। पाकिस्तान में इमरान खान सरकार द्वारा तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) से प्रतिबंध हटाने के बाद सोमवार को संगठन ने वजीराबाद से अपना धरना खत्म कर दिया। इससे पहले सरकार संगठन के दो हजार से ज्यादा कार्यकर्ता रिहा कर चुकी है।
हजारों टीएलपी कार्यकर्ता अपने मुखिया साद रिजवी की जेल से रिहाई और फ्रांसीसी राजदूत के पाकिस्तान से निष्कासन की मांग को लेकर इस्लामाबाद के लिए रवाना हुए थे। रोके जाने पर वे वजीराबाद में सड़क पर बैठ गए थे। इससे पहले पुलिस के साथ उनके टकराव में दस पुलिसकर्मियों समेत 21 लोग मारे गए थे। इसी के बाद इमरान ने मुस्लिम विद्वानों को मध्यस्थ बनाकर टीएलपी से वार्ता शुरू की और 31 अक्टूबर को गुप्त समझौता किया। इस समझौते के चलते पहले कट्टरपंथी संगठन के कार्यकर्ता जेल से रिहा किए गए और उसके बाद टीएलपी पर से प्रतिबंध हटा लिया गया।
टीएलपी ने कहा है कि अपनी आधी मांगों के माने जाने से वह राहत महसूस कर रही है और वजीराबाद से अपना धरना खत्म कर रही है। साथ ही उम्मीद जताई है कि बाकी मांगों को भी सरकार समझौते में दिए समय पर पूरा करेगी।
न्यूज के मुताबिक, सरकार ने संगठन से प्रतिबंध हटाने का फैसला टीएलपी के इस आश्वासन के बाद लिया था जिसमें संगठन ने सरकार को विश्वास दिलाया है कि वो अब भविष्य में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करेगी। इतना ही नहीं संगठन के इस विरोध प्रदर्शन के आगे पाक सरकार इस कदर झुक गई है कि उसने इस संगठन को टीएलपी पर लगे गैर कानूनी स्टेटस को भी हटाने का फैसला लिया है।
आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और पाकिस्तान सरकार के बीच चल रही वार्ता सफल होती नजर आ रही है। सरकार का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच संघर्ष विराम पर सहमती हो गई है। अब ना तो टीटीपी देश के नागरिकों पर हमले करेगा और ना ही सरकारी सुरक्षा बल संगठन के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। वहीं, इससे पहले अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने कहा था कि अगर दोनों पक्षों के बीच वार्ता विफल होती है तो वह टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई करेगी।