भोपाल। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित कमला नेहरू अस्पताल के चिल्ड्रंस वार्ड में सोमवार रात आग लगने से चार बच्चों की मौत हो गई। मप्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग के अनुसार मृत बच्चों के स्वजन को चार-चार लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना को दुखद बताया और उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दे दिए। यह जांच एसीएस लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मोहम्मद सुलेमान, अपर मुख्य सचिव, लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा करेंगे।
घटना की सूचना पाते ही मौके पर फायर ब्रिगेड की टीम पहुंच गई और राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया। खासी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। साथ ही यहां से बच्चों को निकालकर दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया।
घटनास्थल पर मेडिकल एजुकेशन मंत्री विश्वास नारंग भी मौके पर मौजूद हैं। फिलहाल आग लगने के कारणों का पता नहीं चला है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, ‘ मौके पर मौजूद अधिकारी और प्रशासन लगातार मेरे संपर्क में है। हमारे कैबिनेट के साथी मंत्री विकास सारंग घटना की सूचना पाते ही पहुंच गए हैं और बचाव कार्य पर नजर रखे हुए हैं। ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी सकुशल हों।’
मुख्यमंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट कर बताया, ‘अस्पताल के चाइल्ड वार्ड में आग की घटना बेहद दुखद है। बचाव कार्य तेजी से हुआ, आग पर काबू पा लिया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश पहले से गंभीर रूप से बीमार होने पर भर्ती तीन बच्चों को नहीं बचाया जा सका।’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘बच्चों का असमय दुनिया से जाना बेहद असहनीय पीड़ा है। ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति की प्रार्थना करता हूं। इन बच्चों के परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। घटना में जो घायल हुए हैं, उन्हें शीघ्र स्वास्थ्य लाभ हो, यही मेरी कामना है।’
रात 9:00 बजे अस्पताल की तीसरी मंजिल पर भीषण आग लग गई जिसका कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक अस्पताल में 50 से अधिक बच्चे भर्ती थे। इनमें से सात बच्चों के झुलसने की खबर है। करीब एक दर्जन से अधिक स्टाफ नर्से भी प्रभावित हैं। दम घुटने के कारण कई बच्चों की हालत गंभीर रूप से खराब हो गई है। कुछ परिजनों ने अपने बच्चों को निजी अस्पतालों में भर्ती करा दिया है। बताया जाता है कि जिस वार्ड में आग लगी, उसे नए भवन में शिफ्ट किया जाना था, उससे पहले हादसा हो गया। आग लगने के दौरान काफी संख्या में बच्चों के परिजन अस्तपाल के बाहर जमा हो गए थे। इनमें अस्पताल प्रबंधन के प्रति आक्रोश साफ देखा जा रहा था।