हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि पर आंवला नवमी मनाने की परंपरा है। इस पावन दिन आंवले के वृक्ष की पूजा- अर्चना की जाती है। हिंदू धर्म में आंवला नवमी का बहुत अधिक महत्व होता है। आज आंवला नवमी है। मान्यता है कि इस दिन द्वापर युग का प्रारंभ होता है। द्वापर युग में भगवान विष्णु के आठवें अवतार प्रभु श्रीकृष्ण ने जन्म लिया था। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा की ओर प्रस्थान किया था। इसी वजह से वृंदावन परिक्रमा की जाती है।
पूजा विधि-
1. आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा की जाती है।
2. हल्दी, कुमकुम आदि से पूजा करने के बाद जल और कच्चा दूध वृक्ष पर अर्पित करें।
3. इसके बाद आंवले के पेड़ की परिक्रमा करें।
4. तने में कच्चा सूत या मौली आठ बार लपेटें।
5. पूजा के बाद व्रत कथा पढ़ी या सुनी जाती है।
इन शुभ मुहूर्तों में करें पूजा- अर्चना-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:56 ए एम से 05:49 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:27 पी एम
विजय मुहूर्त- 01:53 पी एम से 02:36 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 05:18 पी एम से 05:42 पी एम
रवि योग- 02:54 पी एम से 06:42 ए एम, नवम्बर 13
निशिता मुहूर्त- 11:39 पी एम से 12:32 ए एम, नवम्बर 13
नियम- इस दिन वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है और प्रसाद के रूप में भी आंवला खाया जाता है।
सामग्री- आंवले का पौधा पत्ते एवं फल, तुलसी के पत्ते. पौधा, कलश. जल. कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, चावल, नारियल, सूत का धागा. धूप, दीप, माचिस. श्रृंगार का सामान, साड़ी ब्लाउज.दान के लिए अनाज