नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड की संलिप्तता वाले 3,269.42 करोड़ की बैंक धोखाधड़ी मामले में मनी लांड्रिंग में सक्रिय संलिप्तता के लिए दो व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है।
आरोपितों की पहचान अशोक कुमार गोयल और देवकी नंदन गर्ग के रूप में हुई है और दोनों एंट्री आपरेटर हैं। उन्होंने शक्ति भोग फूड लिमिटेड और उसके निदेशकों की मुखौटा कंपनियों के जरिये उसके लोन को हासिल करने और गबन करने में मदद की थी। ईडी ने सीबीआइ द्वारा मैसर्स शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड और अन्य के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक कृत्य के लिए दर्ज एफआइआर के आधार पर मनी लांड्रिंग की जांच शुरू की थी।
जांच में पता चला कि शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर केवल कृष्ण कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट रमन भुरारिया, देवकी नंदन गर्ग और अशोक कुमार गोयल ने स्टेट बैंक आफ इंडिया के नेतृत्व वाले 10 बैंकों के कंसोर्टियम से धोखाधड़ी की साजिश रची थी। ईडी के मुताबिक, दोनों आरोपित बिना किसी कारोबारी लेन देन के शक्तिभोग को फर्जी बिल उपलब्ध कराने में शामिल थे। इस मामले में ईडी अभी तक 98.31 करोड़ रुपये की चल अचल संपत्तियों को जब्त कर चुका है।
इस साल की शुरुआत में ही लोन के एनपीए में तब्दील होने के बाद एसबीआइ ने शक्तिभोग फूड के खातों का फारेंसिक ऑडिट कराया। जांच में कंपनी का फ्राड पकड़ा गया। शक्तिभोग फूड ने 2015-16 में कीड़े लगने के कारण 3000 करोड़ रुपये का अनाज नष्ट होने का दावा किया था। लेकिन फारेंसिक ऑडिट से साफ हो गया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ और बैंकों का लोन नहीं चुकाने के लिए कंपनी ने झूठ बोला था।
फारेंसिक ऑडिट की रिपोर्ट के साथ एसबीआइ ने सीबीआइ को पूरे मामले की जांच करने का अनुरोध किया। शुरुआती जांच में आरोपों के सही पाए जाने के बाद जांच एजेंसी ने एफआइआर दर्ज कर ली। इसके बाद जून में ईडी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) की प्राथमिकी के आधार पर पीएमएलए की आपराधिक धाराओं में मामला दर्ज किया था। सीबीआइ ने इस साल के शुरू में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के नेतृत्व वाले 10 बैंकों के कंसोर्टियम के साथ 3,269 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के लिए शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। एसबीआइ ने कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।