चेन्नई। लगातार बारिश और बाढ़ की चपेट में आने के बाद चेन्नई एक और संकट का सामना कर रहा है। यहां डेंगू के मामलों में तेजी देखी गई है। पिछले कुछ दिनों में शहर में दर्ज किए गए मामलों की संख्या बढ़कर 105 हो गई है, जिनमें से ज्यादातर मामले कोडंबक्कम और तेयनमपेट क्षेत्रों के हैं। कोडंबक्कम में 18 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि तेयनमपेट में पिछले तीन दिनों में 17 मामले सामने आए हैं। इस बीच, ग्रेटर चेन्नई कारपोरेशन (जीसीसी) के अधिकारियों ने लोगों से आवासीय कालोनियों के साथ-साथ अपने घरों की छतों पर रुके हुए पानी को हटाने का आह्वान किया है।
तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा सुब्रमण्यम ने बात करते हुए कहा, ‘लगातार बारिश और जलभराव के बाद मच्छरों के प्रजनन की संभावनाएं अधिक हैं। हालांकि, निवासियों को अपने आसपास के पानी के ठहराव को रोकने के लिए भी प्रयास करना चाहिए ताकि मच्छरों का प्रजनन रोका जा सके। स्वास्थ्य विभाग सभी कालोनियों में कई स्वास्थ्य शिविर आयोजित कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग ने टेस्टिंग और बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए दवाएं प्रदान करने के लिए डोर-टू-डोर सेवाएं शुरू कर दी हैं। जीसीसी मच्छरों के लार्वा को नष्ट करके डेंगू के प्रकोप को रोकने के लिए चौबीसों घंटे प्रजनन जांच कर्मियों की सेवाओं का उपयोग कर रही है। उन लोगों पर भी जुर्माना लगाया रहा है, जो अपने आवास पर पानी जमा होने दे रहे हैं, जिस कारण छतों से मच्छर पैदा होते हैं।
निगम प्रत्येक क्षेत्र में बीमारियों की संख्या का पता लगाने और इसके प्रसार को रोकने के लिए क्षेत्रवार सर्वेक्षण कर रहा है। जीसीसी के तहत काम करने वाली एक कर्मचारी सौभाग्यलक्ष्मी नारायणन ने आइएएनएस को बताया, ‘लोगों को बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए अधिक जिम्मेदार होना चाहिए क्योंकि फागिंग और चेकिंग के दौरान मैनें कुछ घरों में देखा कि वहां पानी का ठहराव है जिससे बीमारी फैल रही है। हर किसी को इस तरह की बीमारियों के प्रकोप को रोकने के लिए अपनी ओर से प्रयास करना चाहिए।’ जीसीसी ने अपने मुख्यालय के बाहर नियंत्रण कक्ष पहले ही खोल दिए हैं और बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए सभी वार्डों में फागिंग टीमें तैनात कर दी हैं।