अगहन माह में तृतीया तिथि को सौभाग्य सुंदरी व्रत किया जाता है। भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित यह व्रत सौभाग्य और सौंदर्य प्रदान करता है। इस व्रत के प्रभाव से संतान और सुखद दांपत्य जीवन का आशीष प्राप्त होता है। मान्यता है कि जो भी स्त्री इस व्रत का पालन करती है उनके सुहाग की रक्षा माता पार्वती करती हैं। इस व्रत के प्रभाव से दांपत्य के साथ मंगलिक दोष भी दूर हो जाते हैं। यह व्रत पति एवं पुत्र की लंबी आयु के लिए भी किया जाता है।
सौभाग्य सुंदरी व्रत का दिन कृष्ण पक्ष के तीसरे दिन या कृष्ण पक्ष से संबंधित है। सौभाग्य सुंदरी व्रत के दौरान, मां दुर्गा और भगवान शिव की पूजा से पहले श्रीगणेश की पूजा की जाती है। माता पार्वती का 16 शृंगार किया जाता है। नवग्रहों की पूजा के बाद भगवान शिव और मां पार्वती की एक साथ पूजा की जाती है। सुहागन स्त्रियों के लिए यह व्रत सौभाग्य देने वाला है। संतान सुख के लिए भी महिलाएं यह व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं। इस दिन सच्चे मन से व्रत रहने से दाम्पत्य जीवन का दोष दूर होता है और जिस अविवाहित कन्या का विवाह न हो रहा हो या देरी हो रही हो या वो मांगलिक है, उसके सभी कष्ट शीघ्र दूर हो जाते हैं। इसी दिन माता सती ने अपनी कठोर साधना से भगवान शिव को पाने का संकल्प किया था। सौभाग्य सुंदरी व्रत करने से स्त्रियों को अखण्ड सौभाग्य का वरदान मिलता है। शास्त्रों में सौभाग्य सुंदरी व्रत का महत्व बराबर बताया गया है। सौभाग्य सुंदरी की पूजा में सूखे मेवे, सात प्रकार के अनाज चढ़ाये जाते हैं। इस दिन शिव परिवार की पूजा की जाती है।