नई दिल्ली। फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के सिक्योर्ड क्रेडिटर्स ने डील के खिलाफ शुक्रवार को ही अपना वोट किया था, जिसके बाद शनिवार को रिलायंस ने इस सौदे से कदम पीछे हटा लिए हैं। मुकेश अंबानी की कंपनी की ओर से एक नियामकीय फाइलिंग में इस संबंध में जानकारी साझा की गई है।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शनिवार को कहा कि फ्यूचर ग्रुप के साथ उसका 24,713 करोड़ रुपये का सौदा आगे नहीं बढ़ सकता, क्योंकि फ्यूचर ग्रुप के सिक्योर्ड क्रेडिटर्स ने इस डील के खिलाफ मतदान किया है। कर्जदाताओं की मंजूरी न मिलने की वजह से ये डील अब टूट गई है। इस संबंध में रिलायंस की ओर से एक नियामकीय फाइलिंग में ये जानकारी साझा की गई है।
रिलायंस की योजना पर सहमति नहीं
गौरतलब है कि शुक्रवार को फ्यूचर रिटेल लिमिटेड के सिक्योर्ड क्रेडिटर्स ने डील के खिलाफ अपना वोट किया था, जिसके बाद शनिवार को रिलायंस ने इस सौदे से कदम पीछे हटा लिए हैं। फ्यूचर समूह को कर्ज देने वाले क्रेडिटर्स ने रिलायंस इंडस्ट्रीज और फ्यूचर रिटेल असेट के बीच 24,730 करोड़ रुपये के सौदे को खारिज कर दिया था। इस बैठक में सरकारी बैंक के एक अधिकारी ने कहा था कि रिलायंस द्वारा रखी गई अरेंजमेंट स्कीम के खिलाफ सभी क्रेडिटर्स ने मतदान किया था।
इस तरह पटरी से उतरी डील
रिलायंस और फ्यूचर के बीच हुए सौदे पर शेयरधारकों व ऋणदाताओं की मंजूरी लेने के लिए फ्यूचर समूह की संबंधित कंपनियों ने इस हफ्ते दो अलग-अलग बैठकें कीं। शुक्रवार को बैठक के बाद फ्यूचर समूह ने बताया था कि शेयरधारकों व असुरक्षित ऋणदाताओं ने इस सौदे को स्वीकृति दे दी है, लेकिन सिक्योर्ड क्रेडिटर्स ने इस योजना को खारिज कर दिया है। इसके बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सौदे को निरस्त करते हुए कहा कि अब इस सौदे का क्रियान्वयन नहीं किया जा सकता है।
अगस्त 2020 में हुआ था सौदा
बता दें कि फ्यूचर समूह ने अगस्त 2020 में रिलायंस समूह की कंपनी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) के साथ 24,713 करोड़ रुपये के विलय समझौते की घोषणा की थी। इस समझौते के तहत खुदरा, थोक, लॉजिस्टिक एवं भंडारण खंडों में सक्रिय फ्यूचर समूह की 19 कंपनियों का रिलायंस रिटेल अधिग्रहण करने वाली थी।
अमेजन लड़ रहा कानूनी लड़ाई
इससे पहले अमेजन ने 2019 में 1500 करोड़ रुपये में फ्यूचर कूपन (फ्यूचर ग्रुप की होल्डिंग कंपनी) में 49 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी। इस डील के तहत अमेजन को 3 से 10 साल के अंदर फ्यूचर रिटेल में हिस्सेदारी खरीदने का भी अधिकार मिल गया था, लेकिन फ्यूचर ग्रुप ने रिलायंस रिटेल से जब डील की तो उसके बाद अमेजन की ओर से इस डील पर आपत्ति जताई गई, तबसे लंबी कानूनी लड़ाई जारी है।