नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में ब्लैकआउट और आउटेज के बीच बिजली संकट गहरा गया है। अब इस कम स्टॉक से निपटने और कोयले की गाड़ियों की तेज आवाजाही के लिए देशभर में 42 यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। इन ट्रेनों को अनिश्चित काल के लिए रद्द कर दिया गया है। रेलवे अधिकारियों ने आज कहा, थर्मल पावर प्लांटों में कोयले का स्टॉक तेजी से घट रहा है। रेलवे कोयले के परिवहन के लिए “युद्धस्तर पर” कदम उठाने की कोशिश कर रहा है और कोयले को बिजली संयंत्रों में ले जाने में लगने वाले समय में भी कटौती कर रहा है।
भारतीय रेलवे के कार्यकारी निदेशक गौरव कृष्ण बंसल ने ब्लूमबर्ग को बताया कि यह कदम (ट्रेनों को रद्द करने के लिए) अस्थायी है और स्थिति सामान्य होते ही यात्री सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी। वहीं, स्थानीय सांसदों के विरोध के बाद पहले रद्द की गई छत्तीसगढ़ की तीन ट्रेनों को बहाल कर दिया गया है। हालांकि कई राज्यों ने घटते कोयले के भंडार के संकट को देखते हुए ट्रेन रद्द करने के फैसले को हरी झंडी दिखाई है।
देश में गहरा रहा कोयला संकट
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (सीईए) की डेली कोल स्टॉक रिपोर्ट के मुताबिक, 165 थर्मल पावर स्टेशनों में से 56 में 10% या उससे कम कोयला बचा है। कम से कम 26 के पास पांच फीसदी से भी कम स्टॉक बचा है।
दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि महत्वपूर्ण बिजली संयंत्रों के पास एक दिन से भी कम समय का कोयला बचा है। जब उनके पास कम से कम 21 दिनों का आरक्षित कोयला होना चाहिए, और इससे बिजली बंद हो सकती है और मेट्रो और सरकारी अस्पतालों जैसी सेवाओं में रुकावट आ सकती है।
इस संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी कोयला संकट पर बयान दे चुके हैं। उन्होंने ट्वीट किया, “पूरे भारत में स्थिति विकट है। हमें सामूहिक रूप से जल्द ही एक समाधान निकालना होगा। इस स्थिति को हल करने के लिए ठोस कदमों की तत्काल आवश्यकता है।” एक अभूतपूर्व गर्मी की लहर के बीच भारत के कई हिस्सों में ब्लैकआउट और बिजली कटौती ने जीवन और उद्योग को प्रभावित किया है।