भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार भगवान परशुराम वैशाख माह में शु्क्ल पक्ष की तृतीया तिथि अक्षय तृतीया को जन्मे। उन्हें सात चिरंजीवी पुरुषों में से एक माना जाता है। भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ लेकिन उनके गुण क्षत्रियों की तरह थे। सप्तऋषि में से एक ऋषि जमादग्नि और माता रेणुका के पांच पुत्रों में से चौथे पुत्र परशुराम थे।
भगवान शिव के परम भक्त भगवान परशुराम का जन्म के वक्त नाम राम रखा गया था। भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उन्हें परशु प्रदान किया इसलिए उन्हें परशुराम कहा गया। भगवान परशुराम, पितामह भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महारथियों के गुरु थे। भगवान परशुराम को भगवान विष्णु तथा श्रीराम के समान शक्तिशाली माना जाता है। भगवान परशुराम के अनेक नाम हैं। इन्हें रामभद्र, भार्गव, भृगुपति, भृगुवंशी, जमदग्न्य नाम से भी जाना जाता है। भगवान परशुराम अमर हैं। मान्यताओं के अनुसार सात ऐसे चिंरजीवी देवता हैं, जो युगों-युगों से इस पृथ्वी पर मौजूद हैं। इन्हीं में से एक भगवान परशुराम भी हैं। भगवान शिव के परमभक्त भगवान परशुराम को न्याय का देवता माना जाता है। भगवान परशुराम ने न सिर्फ श्री राम की लीला बल्कि महाभारत का युद्ध भी देखा। भगवान परशुराम को भगवान श्री हरि विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। कल्कि पुराण के अनुसार भगवान परशुराम, भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि के गुरु होंगे और उन्हें युद्ध की शिक्षा देंगे। अक्षय तृतीया पर व्रत रखने के साथ विधिवत पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। भगवान परशुराम की पूजा करने से भगवान श्री हरि विष्णु की कृपा बनी रहती है।