देहरादून । यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का उत्तराखंड दौरे का आज दूसरा दिन है। मिली जानकारी के अनुसार सीएम योगी आज अपने गांव में ही प्रवास करेंगे। गांव में उनके पहुंचने से जश्न का माहौल है। सीएम योगी के घर के बाहर लगे पंडाल में उनसे मिलने वालों का तांता लगा हुआ है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उत्तराखंड के तीन दिवसीय दौरे पर हैं। मंगलवार को वह अपने पैतृक गांव पंचूर पहुंचे थे। यमकेश्वर के बिथ्याणी में उन्होंने महायोगी गुरु गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय में अपने आध्यात्मिक गुरु महंत अवेद्यनाथ की मूर्ति का अनावरण किया। इसके बाद वह अपने पैतृक गांव पहुंचे और मां व अन्य परिजनों से मिले।
सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार रात अपने पैतृक घर पर ही बिताई। परिजनों की ओर से उनके लिए उसी कमरे को तैयार किया गया है, जिसमें वह बचपन में रहा करते थे। कल बृहस्पतिवार पांच मई को वह हरिद्वार में परिसंपत्तियों के बंटवारे में उत्तराखंड के हिस्से में आए अलकनंदा होटल को राज्य को समर्पित करेंगे। इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहेंगे।
पांच साल बाद अपने बेटे योगी आदित्यनाथ से मिलकर उनकी 84 वर्षीय मां सावित्री देवी काफी भावुक हो गई। इस दौरान योगी ने मां से आर्शीवाद लिया। योगी आदित्यनाथ को अपने बीच में पाकर उनके नाते रिश्तेदार व परिजन गदगद हो उठे। मंगलवार को अपने गुरु अवेधनाथ की प्रतिमा अनावरण के सिलसिले में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ अपने पैतृक गांव यमकेश्वर के पंचूर पहुंचे थे। यहां तीन बजे से करीब साढ़े पांच बजे तक उन्होंने अनावरण कार्यक्रम और जनसभा में शिरकत की थी।
यहां यूपी पुलिस प्रशासन के साथ ही उत्तराखंड प्रशासन की ओर से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। घर में बुधवार को उनके छोटे भाई महेंद्र बिष्ट के बेटे का चूड़ाक्रम संस्कार है। जिसमें वह भी शामिल रहेंगे। मुंडन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उनके सभी नाते रिश्तेदार पहले ही घर पहुंचे हुए हैं। सीएम योगी को अपने बीच पाकर उनके नाते रिश्तेदार और परिजन गदगद हैं। सभी से योगी ने बचपन की यादें ताजा की। परिजनों के अनुसार घर पहुंचकर में सीएम योगी ने मां से आर्शीवाद लिया और कुशल क्षेम पहुंची।
महायोगी गुरू गोरखनाथ राजकीय महाविद्यालय बिथ्याणी स्थित कार्यक्रम में सीएम योगी पूरे 40 मिनट जनता को संबोधित किया। कार्यक्रम में गुरु अवेद्यनाथ को याद करते हुए सीएम योगी भावुक हो गए। इस दौरान उनकी आंखें नम हो गईं और कुछ देर तक वह कुछ बोल नहीं पाए। उन्होंने गुरु अवेद्यनाथ के बाल्यकाल और अपने बचपन की यादें ताजा की। कहा कि गुरुजी जीवन के अंतिम क्षणों में भी अपनी जन्मभूमि आना चाहते थे, लेकिन बीमारी के कारण वे उन्हें नहीं ला सके। इस दौरान उन्होंने अपने बचपन की यादें और विद्यार्थी जीवन का जिक्र भाषण में कई बार किया