नई दिल्ली। कोरोना काल में संक्रमण से बचाव को लेकर भले ही आनलाइन परीक्षा कराने का फैसला लिया गया था, लेकिन अभी भी देश के कई हिस्सों में उच्च शिक्षण संस्थानों की ओर से आनलाइन ही परीक्षा आयोजित की जा रही है। इनमें सबसे चौंकाने वाला कदम मौखिक परीक्षाओं (वायवा) के आन लाइन आयोजन से जुड़ा है। हालांकि इससे जुड़ी शिकायतों के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने साफ किया है कि मौखिक परीक्षाएं आन लाइन आयोजित की जा सकती है, लेकिन संस्थानों को इससे जुड़े रिकार्ड को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए हैं।
यूजीसी से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक यह कदम तब उठाया गया है, जब इस तरह की शिकायतें मिल रही थीं कि पीएचडी और एमफिल की मौखिक परीक्षाओं के आनलाइन आयोजन के दौरान तय मानकों को पूरा नहीं किया जा रहा है। साथ ही इसे आफलाइन आयोजित करने की भी मांग की गई थी। हालांकि यूजीसी ने कहा कि इसे आनलाइन और आफलाइन किसी भी मोड में आयोजित किया जा सकता है। लेकिन जिस भी तकनीक के माध्यम से आनलाइन परीक्षा आयोजित की जाए, उसका रिकार्ड सुरक्षित रखा जाए। माना जा रहा है कि यूजीसी ऐसी किसी शिकायत पर विश्वविद्यालयों से परीक्षा से जुड़े लोगों की जानकारी और वीडियो मांग सकता है।
बीते साल दिसंबर में दिल्ली विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग के तहत पीएचडी कर रहे शोधार्थियों ने पीएचडी की परीक्षा आनलाइन परीक्षा कराने की मांग की। शोधार्थियों ने इस संबंध में रसायन विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष को पत्र लिखा था, जिसमें शोधार्थियों ने कहा था कि कोरोना महामारी के चलते ज्यादातर शोधार्थी कैंपस से बाहर हैं। इस समय वे अलग-अलग राज्य में हैं। साथ ही ज्यादातर शोधार्थी कोरोना के नए स्वरूप के कारण आफलाइन परीक्षा देने में सहज महसूस नहीं कर रहे हैं। ऐसे में या तो परीक्षा आनलाइन आयोजित की जाए या एक सप्ताह के लिए स्थगित की जाए। इस पत्र में 44 शोधार्थियों ने हस्ताक्षर किए हैं।