उदयपुर। ढाई दशक पहले के बहुचर्चित केरोसिन मिलावट कांड को लेकर चल रहे 117 आपराधिक मामलों की सुनवाई अब एक साथ होगी। केरोसिन मिलावट कांड में चित्तौड़गढ़ जिले एवं आसपास के गांवों के 34 से अधिक लोगों की मौत तथा अस्सी से अधिक लोग झुलस गए थे। इनको लेकर अलग-अलग 117 मामले अदालत में विचाराधीन चल रहे थे। अब कोटा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वीरेंद्र प्रतापसिंह ने आठ अभियुक्तों के किए अपराधों के 117 मामलों को को एक मामले में समाहित करते हुए सुनवाई का निर्णय लिया है।
बताया गया कि साल 1994 में गुजरात रिफायनरी कोइली से कोटा के लिये 62 वेगन पेट्रोल, करोसिन व डीजल के रेल से रवाना किए गए थे। इन्हें IOC कोटा के डिपो पर अलग-अलग बने टैंकों में खाली किया गया। वेगन खाली करते समय आइओसी अधिकारियों ने लापरवाही बरती और 27 हजार लीटर पेट्रोल करोसिन के टैंक में डाल दिया। IOC अधिकारियों ने इस गलती को रिकार्ड में नहीं लिया, बल्कि इसके विपरीत पेट्रोल मिला केरोसिन डीलर्स के माध्यम से राशन विक्रेताओं को आवंटित करवा दिया। उस केरोसिन के उपयोग के बाद चिमनी और स्टोव आदि ऐसे भभके कि 34 से अधिक लोगों की जलने से मृत्यु हो गई और 80 से अधिक लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे।
कोटा के सेशन न्यायालय को सौंपे गए थे सभी मामले
राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देश पर सभी मामलों की सुनवाई राज्य सरकार ने कोटा के सेशन न्यायालय को सौंपी थी। साल 2000 में न्यायाधीश ओपी बिश्नोई ने प्रकरण की धारा 302 और 307 के तहत अपराध योग्य नहीं माना तथा सभी मामले सुनवाई के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोटा को भेज दिए गए।
अब मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोटा ने सभी 117 मामलों को सबसे पुराने प्रकरण 358/2000 में सरकार बनाम और पदमनाभन एवं अन्य के साथ विचारणीय मानते हुए एक साथ सुनवाई योग्य माना।
गौरतलब है कि केरोसिन मिलावट कांड के दर्ज 117वें मामले में जांच के दौरान आइओसी डिपो के अधिकारियों द्वारा रिकार्ड में की गई हेराफेरी और साक्ष्य नष्ट करने संबंधी एकत्रित मूल रिकार्ड जब्त कर लिया गया है। मामले में न्यायालय ने अभियुक्तगणों को आरोपों का संशोधन कर सुनाने के बाद अभियोजन अधिकारी को नई गवाह सूची पेश करने के आदेश दिए गए हैं।