दिल्ली। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से लोगों को राहत नहीं मिल रही है। लोगों को प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए दिल्ली सरकार ऑड इवेन योजना चला रही है। वहीं गाजियाबाद प्रदूषण की आगोश से बाहर नहीं निकल पा रहा है। सोमवार के बाद मंगलवार को दूसरे दिन भी गाजियाबाद देश में दूसरा सबसे प्रदूषित शहर रहा। सुबह शाम प्रदूषण की स्थिति ज्यादा खराब रही। इस दौरान लोगों की आंखों में जलन भी हुई। वहीं, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने निर्माण कार्य करते हुए पकड़े जाने पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) पर 26 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
सड़क पर हो रहा पानी का छिड़काव
शासन प्रशासन द्वारा वायु प्रदूषण पर रोकथाम के लिए सड़क पर छिड़काव करने, निर्माण कार्य पर रोक लगाने समेत विभिन्न कदम उठाया गया है। इसके बावजूद गाजियाबाद प्रदूषण के आगोश से बाहर नहीं आ पा रहा है। मंगलवार को गाजियाबाद का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ)-453 रहा, जो देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर है। एक्यूआइ-458 के साथ पानीपत देश का सबसे प्रदूषित शहर रहा। मंगलवार को गाजियाबाद में पीएम 2.5 और पीएम 10 औसत से कई गुना ज्यादा रहा।
शहर की आबोहवा से परेशानी
अगर शहर की आबोहवा ऐसी ही रही तो हर किसी को परेशानी होगी। वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. नवीन कुमार ने कहा कि जो यह सोच रहा है कि वह दमा मरीज नहीं है और उसे कोई परेशानी नहीं होगी, तो वह गलत सोच रहा है। क्योंकि जहरीली हवा से बचाव करने की सभी को जरूरत है। पीएम 2.5 का स्तर 0-50 तक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं डालता है लेकिन ज्यादा बढ़ने के बाद स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। सांस लेने की परेशानी के साथ कई तरह की परेशानी होने लगती है।