आज से नवंबर माह का अंतिम सप्ताह प्रारंभ हो गया है। इसका प्रारंभ मासिक शिवरात्रि से हो रहा है। आज 25 नवंबर को सोमवार के दिन मासिक शिवरात्रि है। इस दिन भगवान शिव की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इस सप्ताह में मार्गशीर्ष अमावस्या, अगहन अमावस्या या दर्श अमावस्या, चंद्र दर्शन, विनायक चतुर्थी और विवाह पंचमी जैसे व्रत एवं त्योहार आने वाले हैं।
5 नवंबर- सोमवार: मासिक शिवरात्रि।
मासिक शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। इनकी पूजा करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस दिन व्यक्ति को ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करना चाहिए।
26 नवंबर- मंगलवार: मार्गशीर्ष या दर्श अमावस्या।
मार्गशीर्ष मास की अमावस्या का महत्व अत्यधिक माना गया है, जो 26 नवंबर दिन मंगलवार को है। इसे अगहन अमावस्या या पितृ अमावस्या भी कहते हैं। इस दिन स्नान, जप, दान आदि करने से सभी पाप नष्ट होते हैं। आज के दिन पितरों की पूजा का भी विधान है। पितरों की पूजा से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। मार्गशीर्ष अमावस्या का व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
27 नवंबर- बुधवार: चंद्र दर्शन, इष्टि, हेमंत ऋतु का प्रारंभ।
30 नवंबर- शनिवार: विनायक चतुर्थी।
हर मास में दो चतुर्थी पड़ती है। कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी या विनायकी चतुर्थी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विनायक चतुर्थी को गणेश जी की पूजा दोपहर में करें। इस दिन श्रीगणेश की पूजा फलदायी मानी जाती है। विघ्नहर्ता श्रीगणेश जी की आराधना करने से सुख-समृद्धि, धन-दौलत और आर्थिक संपन्नता के साथ-साथ ज्ञान एवं बुद्धि भी प्राप्त होती है।
01 दिसंबर- रविवार: विवाह पंचमी
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी या विहार पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि को ही भगवान श्रीराम और जनक नंदनी माता सीता का विवाह हुआ था। इस तिथि को श्रीराम पंचमी भी कहा जाता है। आज के दिन पति-पत्नी को जोड़े में राम और सीता की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि इस तरह से पूजा करने से पति पत्नी के रिश्तों में भगवान राम और माता सीता के संबंधों जैसी मजबूती आती है।