नई दिल्ली । किसी भी संस्थान में जवाबदेही लेने वाले लोग अपनी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह समझते हैं, तभी तो वे घड़ी देखकर काम करने की बजाय अपने काम को स्मार्ट तरीके से मैनेज करने का प्रयास करते हैं। बेशक कभी-कभी उन्हें इसके लिए कुछ ज्यादा ही ‘पेन’ लेना पड़ता है और ऑफिस के लिए वक्त भी ज्यादा देना पड़ता है, लेकिन एडवांस प्लानिंग के साथ व्यवस्थित तरीके से काम करने के कारण वे आमतौर पर तनावमुक्त, खुश और उत्साह से भरे हुए होते हैं। एक उत्साही प्रोफेशनल के लिए क्यों जरूरी होता है जवाबदेही और जिम्मेदारी के साथ आगे बढ़ना, यहां जानें….
आप किसी भी संस्थान में काम करते हों, फील्ड वर्क हो या इनहाउस, हर दिन आपकी तमाम लोगों से भेंट-मुलाकात होती होगी। अपने साथ काम करने वालों से तो हर दिन मुलाकात होती होगी, कामकाज के सिलसिले में बाहर के लोगों से भी नियमित रूप से मिलना-जुलना होता होगा। क्या आपने इस बात पर बारीकी से गौर किया है कि दिन भर में जितने लोगों से मिलते हैं, उनमें से कितने लोग हर समय खुश, आत्मविश्वास और उत्साह से भरे नजर आते हैं? जाहिर है, कुछ ही लोग ऐसे होते होंगे, जिनसे आप बेहद प्रभावित होते हों। जो आपको भी प्रेरित कर देते हों।
आमतौर पर संस्थानों के भीतर ज्यादातर कर्मचारी रूटीन की तरह काम करते हैं। कम ही लोग होते हैं, जो हर समय उत्साह से लबरेज दिखते हैं। ज्यादातर लोग काम के बोझ से परेशान, उदास और तनाव से भरे नजर आते हैं। दरअसल, यह तनाव और परेशानी उनकी खुद की ओढ़ी हुई होती है। वे खुद को रूटीन के कामों में ही इतना उलझा लेते हैं कि उससे उबर ही नहीं पाते। इतना ही नहीं, काम को एंज्वॉय न कर पाने और उसे बोझ की तरह लेने की वजह से वे उस काम की न तो जिम्मेदारी समझ पाते हैं और न ही कोई गलती होने पर उसकी जवाबदेही लेते हुए आगे के लिए कोई सीख ही लेते हैं। नतीजा यह होता है कि वे बार-बार वही गलती करते हैं।
चाहे छोटा या बड़ा, किसी भी काम को जब हम हल्के में लेते हैं, तो उसमें गलतियां होने की आशंका ज्यादा हो जाती है। इसका सबसे बड़ा कारण यही होता है कि हम उसके प्रति पूरी तरह समर्पित नहीं होते। हम उस काम का शोर तो मचाते हैं, पर पूरी निपुणता के साथ उसे अंजाम नहींदे पाते। हालांकि ऐसा भी नहीं है कि हम कुशलता से उस काम को करने में सक्षम नहीं हैं, पर हमारे चलताऊ रवैये के कारण ही उस काम में कोई प्रभाव नहीं आ पाता। उलटे उसमें कई गलतियां हो जाती हैं। इससे बचने का सबसे कारगर तरीका यही है कि हम अपने चलताऊ रवैये वाली आदत को सुधारने का पुरजोर प्रयास करें और ‘परफेक्शन’ को अपनी आदत में शुमार करें। इससे हम हर छोटे-बड़े काम को प्रभावी और त्रुटिरहित तरीके से पूरा कर सकते हैं।
आगे बढ़ लें जिम्मेदारी
कई लोग चाहे जितने भी वरिष्ठ क्यों न हो जाएं, चाहे उन्हें कितने ही वर्षों का तजुर्बा क्यों न हो जाए, वे आगे बढ़कर जिम्मेदारी लेने की आदत विकसित नहीं कर पाते।
सीनियर्स उनसे जितना कहते हैं, वे बस उसे ही निपटाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं। वे यह नहीं समझ पाते कि सीनियर्स और प्रबंधन को उनसे इससे कहीं ज्यादा की अपेक्षा होती है। वे उनसे कुछ कहने या उन्हें निर्देशित करने की बजाय यह उम्मीद करते हैं कि वे आगे बढ़कर सीनियर्स की जिम्मेदारियों, नए प्रोजेक्ट्स को खुद अपने हाथ में लेने की उत्साहपूर्ण पहल करेंगे। लेकिन अपने रूटीन के कामों में अति-व्यस्त नजर आने और अपनी जिम्मेदारियों को महज ‘नौकरी’ की तरह लेने के कारण वे ऐसा नहीं कर पाते। इसके लिए कई बार उनका ‘स्मार्ट मैनेजमेंट’ करने में रुचि न लेना या पहल न कर पाना भी जिम्मेदार होता है।
खुशियों का खजाना
अगर आप भी अपने काम को महज एक नौकरी समझ कर टाइम पास कर रहे हैं और यह समझते हैं कि इसी तरह दिन पूरे हो जाएंगे, सैलरी बढ़ती रहेगी और इंक्रीमेंट मिलता रहेगा, तो यह आपकी भूल होगी। इस रवैये के कारण आप पर कभी भी गाज गिर सकती है, तब आपके पास पछताने के सिवा और कुछ नहीं होगा। इसलिए बेहतर यही होगा कि अपने भीतर के उत्साह को जगाएं और अपने काम को एंज्वॉय करने का भरपूर प्रयास करें। इसे अपनी आदत में शामिल करें।