नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि साफ हवा और पानी न मुहैया कराने वाले वाले राज्यों से क्यों न मुआवजा वसूला जाए? कोर्ट ने ये सवाल देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पूछा है और छह हफ्तों में इसका जवाब देने के लिए कहा है।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों को जमकर लगी। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य सचिव (पंजाब) से कहा कि हम राज्य की हर मशीनरी को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराएंगे। आम लोगों को इस तरह मरने नहीं दे सकते। साथ ही कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में दमघोंटू माहौल है, क्यों कि आपने सक्षम कदम नहीं उठाए।
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कड़े शब्दों में कहा कि लोगों को गैंस चैंबर में रहने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है? इससे बेहतर उन्हें एक बार में ही मार दिया जाए। प्रदूषण के बीच रह रहे लोगों को 15 बैग्स में विस्फोटों से उड़ा देना बेहतर है। आम जनता यह सब क्यों सहन करे। दिल्ली में आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है, हम हैरान हैं। साफ पानी और हवा हर व्यक्ति का अधिकार है।
दिल्ली में दूषित पानी के मामले पर इन दिनों काफी सियासत हो रही है। दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों से लिए गए पानी के नमूनों में से ज्यादातर दूषित पाए गए। इन्हें पीने योग्य नहीं पाया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी दूषित पानी के मामले को गंभीरता से लिया। वायु प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान सरकार को फटकार लगा चुका था। पिछले दिनों तक दिल्ली में लोगों को सांस लेना मुश्किल हो गया था। लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे थे, ऐसे में स्कूल और कॉलेजों को भी बंद करने की नौबत आ गई थी। अब कोर्ट ने स्वच्छ पानी और साफ हवा को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस समस्या पर जवाब मांगा है।