मंगल के बारे में वैज्ञानिक कई तरह के दावे कर चुके हैं। पृथ्वी के नजदीक होने के कारण वैज्ञानिकों के साथसाथ आम लोग भी इस लाल ग्रह के बारे में जानने को काफी उत्सुक रहते हैं। लंबे समय से वैज्ञानिक यहां जीवन और पानी की संभावनाएं तलाश रहे हैं। इसी क्रम में अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक नया मानचित्र तैयार किया है, जिसमें वैज्ञानिकों के उस दावे को और विस्तार से प्रदर्शित किया है कि मंगल ग्रह में पानी बर्फ के रूप में मौजूद है। कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि लाल ग्रह की सतह से 2.5 सेंटीमीटर नीचे पानी की मौजूदगी हो सकती है।
कैलिफोर्निया स्थित नासा की जेट प्रोपल्शन लैबोरेट्री (जेपीएल) के शोधकर्ताओं ने एक बयान में कहा, ‘मंगल पर पानी की मौजूदगी वहां जीवन की संभावनाओं को और पुख्ता कर देती है।’ उन्होंने कहा कि अब इस बात की संभावनाएं बढ़ गई हैं कि भविष्य में यदि कोई यान मनुष्यों को लेकर अंतरिक्ष के गूढ़ रहस्यों को खोजने निकलता है तो वह लाल ग्रह पर उतर कर पीने के लिए पानी और रॉकेट के लिए ईंधन भी बना सकता है। जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लैटर्स में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने लाल ग्रह का चक्कर लगा रहे दो उपग्रहों के डाटा उपयोग किया है। नासा के मार्स रिकॉनिंसेंस ऑर्बिटर (एमआरओ) और मार्स ओडिसी ऑर्बिटर नामक ये उपग्रह यहां पानी का पता लगाने के लिए प्रक्षेपित किए गए थे।
जेपीएल के शोधकर्ता और इस अध्ययन के प्रमुख लेखक सिल्वेन पिक्सक्स ने कहा, ‘हमारा अध्ययन यह बताता है कि मंगल पर पानी के लिए आपको किसी बड़ी मशीन के जरिये खोदाई करने की जरूरत नहीं है। आप केवल एक फावड़े से भी खोदाई कर पानी सतह में ला सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि हम मंगल ग्रह पर बर्फ के रूप में दफन हुए पानी का डाटा लगातार एकत्र कर रहे हैं और ऐसे स्थानों की तलाश में हैं जहां अंतरिक्ष यात्री आराम से लैंडिंग कर सकें और पानी प्रत्यक्ष रूप से देख सकें।
अध्ययन में बताया गया है कि अमेरिकी अंतरिक्ष नासा के फीनिक्स लैंडर ने मंगल के ध्रुवों के आस- पास ऐसे कई चित्र लिए हैं, जो वहां पानी से संभावनाओं को और मजबूती देते हैं। इस तथ्य को पुख्ता करने के लिए वैज्ञानिकों ने मार्स ओडिसी ऑर्बिटर पर लगे हीट-सेंसिटिव इंस्ट्रूमेंट्स और थर्मल इमिशन इमेजिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अगले साल अपने उन्नत रोवर ‘मार्स 2020’ को जीवन से जुड़े साक्ष्य खोजने के लिए मंगल पर भेजने की तैयारी में जुट गया है। कैलिफोर्निया के पासाडेना स्थित जेट प्रोपल्सन लैब द्वारा तैयार एक टन वजनी यह रोवर लाल ग्रह पर एक छोटी प्रयोगशाला के रूप में काम करेगा। यह वहां की मिट्टी और चट्टानों के नमूनों से जीवन से जुड़ी जानकारी हासिल करने का काम करेगा। नासा के अनुसार, इस रोवर को भेजने का मुख्य मकसद मंगल पर जीवन के साक्ष्यों का पता लगाना है। इससे पहले खोजी अभियान के तहत नासा ने मंगल पर क्यूरियोसिटी रोवर भेजा था। मंगल अभियान के तहत मार्स 2020 को क्यूरियोसिटी से एक कदम आगे बताया जा रहा है।