चंडीगढ़। चंडीगढ़ के सीनियर सिटीजन ट्रिब्यूनल ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। एक बेटा जोकि अपनी 80 वर्षीय बुजुर्ग मां को पहले अपने साथ विदेश (यूके) ले गया। इससे पहले बेटे ने अपनी बुजुर्ग मां का ख्याल रखने का विश्वास दिलाकर धोखे से प्रॉपर्टी अपने नाम करवा ली। जब प्रॉपर्टी बेटे के नाम हो गई। उसके बाद बेटा अपनी बुजुर्ग मां को विदेश (यूके) में नौकरों की तरह रखने लगा। बेटे और बहू ने अपनी बुजुर्ग मां पर अत्याचार करना शुरू कर दिया। एक घर में उसे कैद कर लिया और समय पर खाना तक नहीं दिया। जब बुजुर्ग मां वापस चंडीगढ़़ लौटी। उसने अपने हक के लिए सीनियर सिटीजन ट्रिब्यूनल में इसकी शिकायत की। इस पर ट्रिब्यूनल ने चंडीगढ़ प्रशासन के एस्टेट ऑफिस को बेटे के नाम पर से प्रॉपर्टी का मालिकाना हक रद करने के आदेश दे डाले। जोकि बेटे ने अपनी बुजुर्ग मां से अपने नाम पर धोखे से करवा ली थी। चंडीगढ़ प्रशासन के इतिहास में यह पहला ऐसा वाक्य है जब चंडीगढ़ प्रशासन ने एक बुजुर्ग मां की शिकायत पर सुनवाई करते हुए उसके बेटे के नाम पर से प्रॉपर्टी का मालिकाना हक वापस ले लिया।
बाप की मौत के कुछ महीने बाद ही बेटा छोड़कर चला गया था विदेश
80 वर्षीय बुजुर्ग प्रीतपाल कौर जग्गी ने बताया कि उनके पति इंदर सिंह जग्गी का दो दिसंबर 2006 को देहांत हो गया था। उनका एक बेटा और दो बेटियां थी। बेटा परमजीत सिंह जग्गी अपने पिता की मौत के कुछ महीने बाद ही मां को अकेला छोड़ मार्च 2007 में यूनाइटेड किंगडम (यूके) चला गया। बुजुर्ग ने बताया कि प्रॉपर्टी अपने नाम करवाने की लालच में उसका बेटा परमजीत सिंह करीब 10 साल बाद अप्रैल 2017 में चंडीगढ़ आया। इस दौरान उसने धोखे से विल बनवाकर यह पूरी प्रॉपर्टी अपने नाम करवा ली। शिकायतकर्ता ने बताया कि उसके बेटे ने उसके लिए यूके गवर्नमेंट से दो साल का 11 जनवरी 2018 से 11 जनवरी 2020 तक का वीजा लिया था। ताकि इस बीच वह आसानी से यूके में ही रहकर चंडीगढ़ की इस प्रॉपर्टी को बेच सके। जोकि उसने धोखे से अपने नाम करवा ली थी।
बेटे के खिलाफ मां ने मांगा था न्याय
मेंटेनेंस एंड वेलफेयर आफ पेरेंट्स एंड सीनियर सिटीजन एक्ट-2007 के सेक्शन-23 के तहत सेक्टर-34 स्थित मकान नंबर-1298 में रहने वाली 80 वर्षीय बुजुर्ग प्रीतपाल कौर जग्गी ने अपने बेटे परमजीत सिंह जग्गी के खिलाफ शिकायत की थी। प्रीतपाल कौर ने बताया कि उसका बेटा अपने नाम पर प्रॉपर्टी कराने के बाद उसे बेचने के लिए दिसंबर 2017 को उसे अपने साथ विदेश (यूके) ले गया। परमजीत धोखे से 18 मई 2017 को विल के आधार सेक्टर-34 की कोठी नंबर-1298 को अपने नाम पर करवा चुका था। वहीं मां प्रीतपाल कौर ने इस प्रॉपर्टी को तीन हिस्सों में अपने बेटे और दो बेटियों में बांटना चाहती थी। लेकिन परमजीत ने धोखे से अपनी मां से विल पर हस्ताक्षर करवा कर प्रॉपर्टी अपने नाम करवा ली। विदेश में रहते हुए जब उसे इस बात की भनक पड़ी तो वह भारत वापस लौटने की जिद्द करने लगी। इस पर उसके बेटे परमजीत सिंह जग्गी ने अपनी पत्नी के साथ मां को वापस भारत भेज दिया। बहू अपनी बुजुर्ग सास को दो महीने बाद 18 मार्च 2018 को यूके से लाकर दिल्ली एयरपोर्ट पर अकेले छोड़कर चली गई।
बेटी ने रखा ख्याल
एयरपोर्ट पर जब बुजुर्ग ने अपनी बेटी कंवलजीत जग्गी को फोन कर उसे चंडीगढ़ ले जाने के लिए बुलाया। बेटी कंवलजीत जग्गी ने इसके बाद अपनी बुजुर्ग मां का ख्याल रखा। कुछ दिनों बाद कई प्रॉपर्टी डीलर व एजेंट सेक्टर-34 स्थित कोठी नंबर-1298 को बेचने के लिए वहां आने लगे। बुजुर्ग प्रीतपाल कौर को पता चला तो उसने अपने बेटे परमजीत के खिलाफ सीनियर सिटीजन ट्रिब्यूनल में शिकायत दी, जिसकी सुनवाई के बाद अब यह फैसला आया है।