जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीशों की कमी के चलते मुकदमों का समय पर निस्तारण नहीं हो पा रहा है। हाईकोर्ट में न्यायाधीशों के 50 पद स्वीकृत हैं, लेकिन इनमें से 21 न्यायाधीश ही कार्यरत है। 29 पद लंबे समय से खाली चल रहे हैं। न्यायाधीशों के खाली पदों की बढ़ती संख्या के चलते मुकदमों की पेंडेंसी लगातार बढ़ती जा रही है।
नेशनल ज्यूडिशल डाटा ग्रिड के अनुसार वर्तमान में 4 लाख 57 हजार 110 केस पेंडिंग है, अर्थात एक न्यायाधीश पर करीब 22 हजार केसों का भार है। पिछले एक साल में ही 1 लाख 39 हजार से अधिक मामले पेंडिंग हुए हैं। हाईकोर्ट में जो मामले पेंडिंग चल रहे हैं उनमें से 27 प्रतिशत पिछले 5 से 20 साल पुराने हैं, जिनमें पक्षकारों को तारीखें मिल रही है।
जानकारी के अनुसार अक्टूबर,2014 में हाईकोर्ट के न्यायाधीश के पदों की संख्या 40 से बढ़ाकर 50 की गई थी। लेकिन पांच साल बाद भी अब तक सभी पद नहीं भरे जा सके। हाईकोर्ट के साथ ही निचली अदालतों में भी पेंडिंग मुकदमों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। वर्तमान में निचली अदालतों में 16 लाख 68 हजार 213 केस पेंडिंग है।