नई दिल्ली। देश में निवेश की घटती रफ्तार की गूंज मंगलवार को बजट पूर्व बैठक में भी सुनाई दी। देश के प्रमुख उद्योग चैंबरों के प्रतिनिधियों ने सरकार से कहा कि निवेश के माहौल में बड़े सुधार करने की जरुरत है। चैंबरों की तरफ से निर्यात के लिए सुविधाओं को और बढ़ाने, श्रम सुधार जैसे दूसरी पारंपरिक मांगों की फेहरिस्त भी अलग अलग रखी गई। लेकिन निवेश के माहौल को लेकर चिंता सभी पक्षों ने साझा की। घरेलू मांग की स्थिति को लेकर साझा तौर पर चिंता भी जताई गई और इसके लिए आम आय कर दाता को ज्यादा छूट देने की बात भी कई प्रतिनिधियों ने रखी। इस बैठक में उद्योग, कारोबार व सेवा क्षेत्र के तमाम प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
बैठक के बाद सरकार की तरफ से जारी सूचना में भी इस बात के संकेत दिए गए हैं। इसमें कहा गया है कि निजी निवेश को प्रभावित करने वाले नियमन संबंधी माहौल, दुनिया में जिस तरह से संरक्षणवाद बढ़ रहा है उसे देखते हुए निर्यात को बढ़ावा देने संबंधी भावी कदम, औद्योगिक उत्पादन जैसे मुद्दों पर मुख्य तौर पर चर्चा हुई। बैठक के बाद सीआइआइ के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर ने बताया कि, वित्त मंत्री व वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने हमारे सुझावों को बहुत ही गंभीरता से सुना। उन्हें अर्थव्यवस्था के हालात के बारे में बहुत ही अच्छे तरह से पता है।
हमारी तरफ से कर संग्रह को बेहतर बनाने के कई सुझाव दिए गए हैं। साथ ही हमें उम्मीद है कि घरेलू मांग को बढ़ाने के लिए जो सुझाव दिए गए हैं उन पर भी गौर किया जाएगा। इसी तरह से फिक्की के अध्यक्ष संदीप सोमानी ने कहा कि, नियमों व कानूनों की तरफ से निवेश की राह में जो अड़चनें पैदा हो रही हैं वह विमर्श का एक बड़ा मुद्दा था। कारोबार के माहौल को मुक्त बनाना अभी एक बड़ी जरुरत है। एसोचैम के महासचिव दीपक सूद ने कहा कि अभी जो माहौल है उसमें मांग को बढ़ाना व सिस्टम में पर्याप्त तरलता देना सबसे ज्यादा जरुरी है।
पीएचडी चैंबर के अध्यक्ष डी के अग्रवाल ने कहा कि हमने बहुत सारी मांगें वित्त मंत्रालय के समक्ष रखी है लेकिन एक मांग जो हमें लगता है बहुत जरुरी है, वह है संकट में फंसी छोटी व मझोली इकाइयों के लिए 25 हजार करोड़ रुपये के एक विशेष कोष की स्थापना करना। अभी बैंकों व एनबीएफसी की तरफ से इन इकाइयों को फंड नहीं मिल पा रहा है इसलिए उक्त कदम जरुरी हो गया है। फियो के अध्यक्ष अजय सहाय ने कहा कि जीएसटी काउंसिल में पहले ही निर्यातकों के लिए ई-वालेट सुविधा बहाल करने पर चर्चा हुई है। इसे स्वीकृति दिलाने व लागू करने को तत्काल ध्यान देना चाहिए। निर्यात समुदाय को मदद करने के लिए सरकार की तरफ से ठोस कदम उठाने में जरा भी देरी नहीं होनी चाहिए।