श्रीनगर। केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को रद कर जम्मू कश्मीर व लद्दाख को मिला कर राज्य का दर्जा बहाल करे, ताकि कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल हो सके। यह बात पूर्व वित्तमंत्री यशवंत सिन्हा के नेतृत्व वाले कन्सर्ड सिटीजंस ग्रुप (सीसीजी) ने मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कही।
सीसीजी ने कहा है कि सितंबर और नवंबर में उसने कश्मीर दौरा कर विभिन्न वर्गो के लोगों से बातचीत की। लोगों के मन में पांच अगस्त के बाद पैदा हुए भय व संदेह को दूर करने के लिए केंद्र को कश्मीरियों से विभिन्न स्तर पर बातचीत शुरू करनी चाहिए। 19 पन्नों की रिपोर्ट में केंद्र से आग्रह किया है कि जनसुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में लिए सभी कश्मीरियों को रिहा किया जाना चाहिए, बशर्ते वे किसी गंभीर अपराध में लिप्त न हों। अगर किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ कोई मामला है और उसे जम्मू कश्मीर से बाहर जेल में भेजा है तो उसे वापस जम्मू कश्मीर की किसी जेल में रखा जाए।
वहीं, इंटरनेट और मोबाइल फोन सेवा को पूरी तरह बहाल करने पर जोर भी जो दिया गया। सीसीजी ने कहा कि केंद्र को जम्मू कश्मीर में शांतिपूर्ण सियासी गतिविधियों की इजाजत देते हुए राजनेताओं को रिहा करना चाहिए। हाईवे पर सार्वजनिक व व्यावसायिक वाहनों की आवाजाही पर रोक नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा फैसले के बाद स्थानीय व्यापारियों और कारखानों को हुए नुकसान की भरपाई भी केंद्र को करनी चाहिए। वहीं रिपोर्ट में स्थानीय लोगों के जमीनों के अधिकार को भी संरक्षित रखने की बात कही है।
श्रीनगर एयरपोर्ट से लौटाए थे यशवंत सिन्हा
सितंबर में जब सीसीजी कश्मीर दौरे पर आया था तो प्रशासन ने यशवंत सिन्हा को श्रीनगर एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया था, जबकि अन्य साथियों को कश्मीर में दाखिल होने दिया। अलबत्ता, नवंबर में जब सीसीजी ने दोबारा कश्मीर यात्रा का कार्यक्रम बनाया तो श्रीनगर में दाखिल होने दिया, लेकिन सीसीजी के प्रतिनिधियों को पुलवामा, शोपियां जाने से रोक दिया। सीसीजी में राष्ट्रीय सूचना आयोग के पूर्व प्रमुख वजाहत हबीबुल्ला, पूर्व एयरवाईस मार्शल कपिलन काक, पत्रकार भारत भूषण और सेंटर फॉर डायलाग एंड रिकांसिलिएशन की निदेशक सुशोभा बार्वे शामिल हैं।