नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शनों के पीछे आतंकी और उग्रवादी संगठनों की भूमिका सामने आने लगी है। असम में हुए हंगामे के पीछे प्रतिबंधित आतंकी संगठन उल्फा का हाथ होने के सबूत मिलते ही तत्काल वहां असम राइफल्स और सेना को तैनात किया गया। दिल्ली समेत देश के अन्य भागों में हिंसा के पीछे कुछ कट्टरपंथी संगठनों की भूमिका की आशंका जताई जा रही है और जांच एजेंसियां इसके लिए सबूत एकत्रित करने में जुटी हैं।
असम में आंदोलन को आतंकवादी संगठन उल्फा समर्थन कर रहा था
सुरक्षा एजेंसी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि असम में हिंसक प्रदर्शनों के जरिए नागरिकता कानून का जनता द्वारा विरोध बताया जा रहा था जबकि सच्चाई कुछ और थी। एक एजेंसी की ओर से केंद्र को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार आंदोलन को आतंकवादी संगठन उल्फा समर्थन कर रहा था और उनके आतंकियों के बीच आंदोलनकारियों को हथियार मुहैया कराने की बात भी की जा रही थी।
रिपोर्ट के अनुसार उल्फा के एक आतंकी ने डिप्टी चैयरमैन प्रदीप गोगोई को आंदोलनकारियों को हथियार मुहैया कराने की बात भी कही। वह जानता था कि आतंकी संगठन के पास मौजूद हथियारों का 60 फीसदी ग्रामीणों के बीच बांटना सही रहेगा या नहीं। यही नहीं, प्रदीप गोगोई 11 दिसंबर को असम के लाकुवा, सिवसागर में अपने सहयोगियों के साथ विरोध प्रदर्शन में शामिल भी हुआ था।
इसके साथ ही रिपोर्ट के अनुसार 12 दिसंबर को लोताखील गुवाहाटी में नागरिकता कानून के विरोध में भारी प्रर्दशन के दौरान खुद उल्फा का महासचिव अनूप चेतिया और उनका सहयोगी प्रांजीत सैकिया भी मौजूद था। रिपोर्ट के बाद असम सरकार और केंद्र ने तत्काल कदम उठाते हुए असम राइफल्स के साथ-साथ सेना को उतारकर स्थिति को नियंत्रण में लिया और उल्फा की साजिश को नाकाम कर दिया।
वहीं दिल्ली समेत अन्य शहरों में विरोध प्रदर्शनों के पीछे प्रतिबंधित कट्टरवादी संगठनों की भूमिका की आशंका जताई जा रही है और एजेंसियों उनकी पहचान में जुट गई हैं।
जामिया मिलिया इस्लामिया विवि में विरोध प्रदर्शन के दौरान बाहरी लोग थे
जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने वाले बाहरी लोगों की पहचान की जा रही है। इस सिलसिले में गिरफ्तार लोगों में एक भी छात्र नहीं है। अब इन गिरफ्तार लोगों के बैकग्राउंड की जांच की रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे किसी कट्टरपंथी संगठन से तो नहीं जुडे़ थे।
जामिया की घटना से सीख लेते हुए सीलमपुर इलाके में हिंसक प्रदर्शन कर रही भीड़ की ड्रोन कैमरे से रिकार्डिग कर ली गई, ताकि उनमें से हिंसा फैलाने वालों की पहचान की जा सके। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस सिलसिले में सोशल मीडिया के साइट्स और व्हाट्सएप के कुछ ग्रुप की पहचान कर उनकी जांच की जा रही है ताकि असली साजिशकर्ताओं की पहचान की जा सके।