लखनऊ। शहर में ठंड-कोहरे का प्रकोप बढ़ गया है। ऐसे में ब्रेन स्ट्रोक, हार्ट अटैक, अस्थमा अटैक व सांस रोगियों का खतरा बढ़ गया है। अस्पतालों में ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक में मरीजों की भरमार है। ब्रेन स्ट्रोक से जहां दो की मौत हो गई। वहीं, हार्ट अटैक के कई मरीज आइसीयू में भर्ती हैं।
शहर का तापमान लगातार लुढ़क रहा है। बढ़ती ठंड से ब्रेन स्ट्रोक हो रहा है। वहीं, हार्ट अटैक व सांस की समस्या भी उभर रही है। लिहाजा, लोहिया संस्थान, केजीएमयू, पीजीआइ समेत अन्य अस्पतालों में गंभीर मरीजों का आना जारी है। केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभाग की इमरजेंसी में मंगलवार को ब्रेन स्ट्रोक के दो मरीजों की मौत हो गई। विभागाध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग के मुताबिक, लखनऊ निवासी सन्नो (70) व रामकली (80) को बेहोशी की हालत में ट्रॉमा सेंटर स्थित इमरजेंसी में लाया गया। उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था।
20 मरीजों में स्ट्रोक, 40 को हार्ट अटैक : डॉ. आरके गर्ग के मुताबिक, ठंड बढ़ने पर प्रतिदिन आठ मरीज ब्रेन स्ट्रोक के ट्रॉमा सेंटर पहुंच रहे हैं। वहीं, लोहिया संस्थान की इमरजेंसी में सात व पीजीआइ में पांच मरीज ब्रेन स्ट्रोक के पहुंच रहे हैं। लारी के प्रवक्ता डॉ. अक्षय प्रधान के मुताबिक, हार्ट अटैक के प्रतिदिन 20 मरीज भर्ती किए जा रहे हैं। ऐसे ही 10 मरीज पीजीआइ व 10 लोहिया संस्थान में भर्ती किए जा रहे हैं। इसके अलावा सांस फूलने के मरीजों की ओपीडी से लेकर इमरजेंसी तक भरमार है। बुधवार को शहर के सरकारी अस्पतालों के आइसीयू फुल हो गए। मरीजों को निजी अस्पतालों के चक्कर काटने पड़े।
अस्पतालों में इनहेलर का संकट : प्रदूषण व ठंड ने अस्थमा रोगियों की मुसीबत बढ़ा दी है। वहीं, अस्पतालों में इनहेलर का संकट है। लिहाजा, गंभीर मरीजों को इनहेलर के लिए मेडिकल स्टोर पर भटकना पड़ रहा है।
सरकारी अस्पतालों में अस्थमा के सामान्य मरीजों के लिए इनहेलर हैं। वहीं जिन अस्थमा रोगियों में ब्लड प्रेशर, शुगर की भी शिकायतें होती हैं, उनके लिए विशेष इनहेलर होते हैं। अधिकतर अस्पतालों में इनका संकट है। लोहिया अस्पताल में सिर्फ अस्थालिन इनहेलर है। वहीं सिविल अस्पताल में अस्थालिन व बेकलेट इनहेलर है। यह सामान्य अस्थमा के रोगियों में दिए जाते हैं। वहीं सेरोफ्लो, टाइबा इनलेहर नहीं हैं। उधर, बलरामपुर अस्पताल में चारों इनहलेर हैं।
ठंड में ब्रेन में हेमेरेजिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसका कारण, ठंड में रक्तनलिकाओं के सिकुड़ने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर का अनियंत्रित होना है। केजीएमयू के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. एके गर्ग के मुताबिक, ब्रेन स्ट्रोक कई प्रकार का होता है। इसमें एक स्ट्रोक रक्त वाहिकाओं में थक्का जमने पर होता है। इसे इस्केमिक स्ट्रोक कहते हैं। यह दो तरह का होता है, थांब्रोटिक व इंबोलिक। दूसरा हेमेरेजिक स्ट्रोक होता है, जोकि रक्तवाहिका के रेप्चर होने से होता है। ठंड के दिनों में हेमेरेजिक स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। कारण, ठंड लगने से रक्तवाहिका सिकुड़ जाती हैं। ब्लड प्रेशर हाई हो जाता है। ब्रेन में रक्त वाहिकाओं में रेप्चर हो जाता है।
शरीर के एक ही तरफ के चेहरे, हाथ या पैर में सुन्नपन, झनझनाहट होना, कमजोरी महसूस होना, अचानक लड़खड़ाना, चक्कर आना, शरीर का संतुलन बिगड़ना, बोलने या समझने में मुश्किल, धीरे या अस्पष्ट बोलना, एक या दोनों आंखों से देखने में कठिनाई, तेज सिरदर्द होना, जी मचलना और उलटी होना, बेहोशी, होठ और आंख एक तरफ लटक जाए तो यह स्ट्रोक के लक्षण हैं।
इनको अधिक खतरा : उच्चरक्तचाप, मधुमेह, हदय रोग या उच्च कोलस्ट्रॉल से पीड़ित रोगी को स्ट्रोक होने का खतरा अधिक होता है।