बस्ती । बदन अच्छी तरह गर्म कपड़ों से ढके हुए हैं। लेकिन खुले में कुछ ही देर रहने पर लोग सिहर जा रहे हैं। लुढ़कता पारा और बढ़ती गलन में हर कोई ठिठुर रहा है। मौसम का मिजाज अभी राहत देने वाला नहीं है। ठंड का कहर बरकरार है। बचाव के लाख जतन किए जा रहे हैं। फिर भी जीवन कांप रहा है। गुरुवार को भी सर्द मौसम अपने ऊंचाई को छू रही थी।
सुबह कोहरा छटा तो लोगों को धूप खिलने की उम्मीद थी। लेकिन ठंड का धुंध छाया रहा। सूर्यदेव दिन में दो दर्जन बजे कुछ देर के लिए दर्शन दिए। इसके बाद फिर कोहरे का असर हावी हो गया। दिन भी सर्द हवाओं के साथ गलन बरकरार रही। अलाव के सहारे लोग बैठे रहे। घरों में हीटर, ब्लोअर भी दिन भर चले। हल्की सी लापरवाही इस ठंड में भारी पड़ जा रही है। अलाव के पास तो जीव जंतु भी खड़े होकर राहत महसूस कर रहे हैं। गांवों, मोहल्लों में जलाए गए अलाव के इर्द-गिर्द मनुष्यों के साथ पालतू जानवर भी बैठे हुए मिल रहे हैं। वहीं जनजीवन सुस्त पड़ा है। सड़कों पर चहलकदमी न के बराबर है। चार पहिया वाहनों को छोड़ दिया जाए तो दो पहिया वाहन कम दिख रहे हैं। जरूरतमंद लोग ही घर से बाहर निकल रहे हैं।
नहीं बंटा कंबल और स्वेटर
सरकारी तैयारी देखिए। ठंड शबाब पर है। लेकिन स्कूली बच्चों में स्वेटर अभी तक नहीं वितरित हुआ। इधर एक सप्ताह से स्कूल बंद चल रहे हैं। बच्चों का आना नहीं हो रहा है। स्वेटर की आपूर्ति कुछ हुई भी है तो वह कमरों में डंप है। सरकार का कंबल भी गरीबों तक नहीं पहुंच पाया है। इस मद में 20 लाख रुपये डंप होने के बाद भी कंबल नहीं खरीदे गए। आपूर्ति के लिए टेंडर तक नहीं हो पाए हैं।