नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए साल का तोहफा दिया है। उन्होंने पब्लिक सेक्टर बैंकों (PSBs) के प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक के बाद चुनिंदा पेमेंट मोड पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) शुल्क को खत्म करने की घोषणा की है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की एक खबर के मुताबिक वित्त मंत्री ने कहा है कि नोटिफाइड पेमेंट पर कोई एमडीआर शुल्क देने की जरूरत नहीं होगी। ऐसे में आपके दिमाग में यह बात आ रही होगी कि आखिर एमडीआर शुल्क होता क्या है और इसका भुगतान किसे करना होता है। दरअसल, जब किसी दुकान पर कोई व्यक्ति अपना कार्ड स्वैप करता है तो जो शुल्क दुकानदार को अपने सर्विस प्रोवाइडर को देना होता है, उसे ही एमडीआर शुल्क कहते हैं। यह शुल्क ऑनलाइन लेनदेन एवं क्यूआर आधारित ट्रांजैक्शन पर लागू होता है।
सीतारमण ने कहा कि जनवरी से 50 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार करने वाले सभी कारोबारी बिना किसी एमडीआर शुल्क के रूपे डेबिट कार्ड और यूपीआई क्यूआर कोड के जरिए भुगतान की सुविधा उपलब्ध करा पाएंगे। वित्त मंत्री ने पांच जुलाई, 2019 को अपना पहला बजट पेश करते हुए इस संबंध में संकेत दिया था। इस बात की उम्मीद की जा रही है कि सीतारमण एक फरवरी, 2020 को अपना दूसरा बजट पेश करेंगी।
हर लेनदेन पर दुकानदार द्वारा जिस राशि का भुगतान किया जाता है, वह तीन हिस्सों में बंट जाता है। पहला हिस्सा बैंक, दूसरा हिस्सा पीओएस मशीन लगाने वाले वेंडर और तीसरा हिस्सा वीजा एवं मास्टरकार्ड जैसी कंपनियों को जाता है। हालांकि, वित्त मंत्री की इस घोषणा के बाद भी क्रेडिट कार्ड पर एमडीआर शुल्क 0 से दो फीसद के बीच रह सकता है।