लखनऊ। इमामबाड़ा झाउलाल ठाकुरगंज में रविवार को यौम-ए-गम मनाया गया। इस कार्यक्रम को “बैतुलमाल का अशरा” के नाम से जाना जाता है इस मौके पर शहर की मातमी अंजुमनों नौहाख्वानी व मातम किया। कार्यक्रम में हजारों लोगों ने शिरकत कीजिसमें महिलाएं व बच्चे भी शामिल हुए आैर अलमों की जियारत की। अजादारों ने अंजुमनों के सलामों को सुना आैर उन्हें दाद दी वहीं नौहे सुनकर इमाम की याद में आंसु बहाये। इसी कड़ी में इमली वाली मस्जिद ठाकुरगंज में “हुसैन डे” मनाया गया। इस मौके पर मौलाना अली मुतक्की जैदी ने मजलिस को खिताब किया। मौलाना ने कहा कि दीन को समझाने वाले अली हैं आैर दीन को बचाने वाले हुसैन हैं। उन्होंने हजरत अली (अ.स.) का जिक्र करते है हुए कहा कि इमाम की इबादत का आलम यह था की नमाज की हालत में पैर से तीर निकाल लिया गया उन्हें पता भी न चला। मौलाना ने जब कर्बला में इमाम आैर उनके साथियों पर हुए जुल्म-ओ-सितम को बयान किया तो अजादारों की आंखों से जारो-कतार आंसु जारी हो गये। मजलिस के बाद शायरों ने अपने कलाम पेश करके कर्बला के शहीदों को याद किया। इसके बाद अंजुमन मजलूमियां, काजमिया आबिदया, कैम आले इबा, सदरे मातम शाइन शोजा,रौनके दीने इस्लाम सहित शहर की करीब 110 से अधिक अंजुमनों ने अपने अलम सजाये आैर नौहाख्वानी व सीनाजनी करके हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) आैर उनके साथियों की दर्दनाक शहादत का गम मनाया। इस मौके पर बच्चों की अंजुमनें भी शामिल हुई। अंत में इमामबाड़े में मजलिस को मौलाना एजाज अब्बास जैदी ने खिताब किया। यह कार्यक्रम 1924 में सऊदी अरब स्थित जन्नतुलबकी में रौजों को गिराये जाने की याद में किया जाता है। अजाखाना फैज बाकर दरगाह हजरत अब्बास (अ.स.) में मौलाना मीसम जैदी ने मजलिस कोखिताब किया। मजलिस के बाद शहर की अनेक अंजुमने नौहाख्वानी व सीनाजनी की
सबील व लंगर के विशेष इंतजाम
लखनऊ। बैतुलमाल का अशरा के मौके पर इमामबाड़े के आस-पास अजादारों के लिए काफी संख्या में सबीले लगायी गयी थीं। इसके अलावा ठाकुरगंज, घासमंडी, नैपियर रोड, हुसैनाबाद रोड आदि इलाकों में तमाम इदारों अौर अजादारों की तरफ से कश्मीरी चाय, काफी, दूध के शर्बत की सबीलों आैर लंगर का आयेजन भी किया गया था जिसमें बिरयानी, दाल-चावल आैर खिचड़ा आदि खिलाया गया। इसके साथ ही जगह-जगह तर्बरूक (प्रसाद) का वितरण किया गया।
अलविदायी अलम के बाद शब्बेदारी खत्मलखनऊ।अंजुमन मकसदे हुसैनी की ओर से ठाकुरगंज के नैपियर रोड स्थित इमामबाड़ा मकसदे हुसैनी में हुई शब्बेदारी की अलविदाई मजलिस को मौलाना तकी अली आब्दी ने खिताब किया। मजजिस के बाद अंजुमन नौहाख्वानी व सीनाजनी करती हुई अलम-ए-मुबाकर को इमामबाड़ा झाउलाल ले गयी। इसी तरह अंजुमन शाहे इंसोजां की शब्बेदारी की अलविदायी मजलिस इमामबाड़ा शिदी अमीर हसन अस्तबल चारबाग में हुई मजलिस को खतीब सैयद मुतु़जा ने खिताब किया।
मस्जिद नवाब घसीटा में करायी ताबूतों की जियारत
लखनऊ कर्बला के शहीदों की याद में मस्जिद नवाब घसीटा नूरबाड़ी में “18 कमर-ए-बनी हाशिम” के नाम से कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें अजादारों को शबीहों की जियारत करायी गयी। जिसे देखर कर अजादारों की आंखें नम हो गयी। इस मौके पर मौलाना मुम्ताज जाफर ने मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि इस्लाम गदीर में मुकम्मल हुआ आैर कर्बला में महफूज हुआ। अगर हजरत इमाम हुसैन (अ.स.) कर्बला के मैदान में अपनी व अपने साथियों की कुर्बानी नहीं देते तो आज इस्लाम न होता। मजलिस के बाद 16 ताबूत, हजरत अब्बास (अ.स.) के अलम आैर हजरत अली असगर (अ.स.) का झूला निकाल कर लोग कर्बला दयानुतद्दौला ले गये। इस दौरान अजादारों ने कमा व छुरियों का मातम भी किया। इस मौके काफी संख्या में पुरूष, महिलाओं सहित बच्चों ने शिरकत करके ताबूतों, अलम आैर झूले की जियारत की। कार्यक्रम का आयोजन नूरबाड़ी के क्षेत्रवासियों द्वारा कराया गया था। आग पर मातम : कर्बला मलका जहां ऐशबाग में रविवार को आग पर मातम का आयोजन किया गया। इस मौके पर मजलिस को मौलाना यासूब अब्बास ने खिताब किया। मजलिस के बाद अजादार दहकती आग पर या हुसैन,या हुसैन कहते हुए गुजर गये। कार्यक्रम का आयोजन अंजमुन पंजतनी ने किया था।