इस्लामाबाद। पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों सहित अल्पसंख्यकों के जबरन धर्मांतरण के बढ़ते मामलों के बीच इस्लामी मुद्दों पर सांसदों-विधायकों को कानूनी सलाह देने वाली एक संवैधानिक संस्था ने कहा है कि इस तरह का कदम ‘गैर इस्लामी और असंवैधानिक’ है।
जबरन धर्मांतरण की इजाजत नहीं देता इस्लाम: CII
इस्लामी विचारधारा परिषद (CII) ने अपने दो दिवसीय सत्र के दौरान जबरन धर्मांतरण के मुद्दों पर गौर किया और मशविरा प्रक्रिया में अल्पसंख्यक नेताओं को शामिल करने का फैसला किया। सीआइआइ का दृष्टिकोण है कि इस्लाम जबरन धर्मातरण की इजाजत नहीं देता है। धार्मिक मामलों के मंत्रालय से ऐसे लोगों के लिए एक प्रारूप तैयार करने की भी पेशकश की गई है, जो अपना धर्म बदलकर इस्लाम अपनाना चाहते हैं।
धर्मांतरण इस्लामी सिद्धांत का उल्लंघन: CII
दो दिवसीय बैठक के बाद सीआइआइ के अध्यक्ष डॉ. किबला अयाज ने पत्रकारों से कहा कि जबरन धर्मातरण इस्लामी सिद्धांत का और संविधान का भी उल्लंघन है। पाकिस्तान में अल्पसंख्यक लड़कियों का अपहरण करने, जबरन धर्मातरण कराने और शादी कराने जैसे मामलों की भारत लगातार आलोचना करता रहा है।
पिछले साल जुलाई में प्रधानमंत्री इमरान खान ने जबरन धर्मातरण को गैर इस्लामी करार दिया था और कहा था कि इस्लामी इतिहास में जबरन धर्मातरण की परंपरा नहीं रही है। पाकिस्तान में हिंदू सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है।