नई दिल्ली। तिहाड़ के जेल संख्या दो में बंद निर्भया के दोषियों अक्षय, पवन और मुकेश को जेल के कसूरी वार्ड में भेजा गया है। आमतौर पर जिस कैदी का आचरण सही नहीं होता, उसे कसूरी वार्ड में रखा जाता है। इसकी सुरक्षा में 24 घंटे कर्मी तैनात रहते हैं। जेल प्रशासन यह नहीं बता रहा है कि अक्षय, पवन व मुकेश को कसूरी वार्ड में क्यों रखा गया है? उधर, जेल संख्या-चार में बंद विनय की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
डेथ वारंट के बाद बचे हैं दो रास्ते
जेल सूत्रों का कहना है कि डेथ वारंट जारी होने के बावजूद दोषियों के पास क्यूरेटिव व दया याचिका का विकल्प मौजूद है। इन्हें तभी जेल संख्या तीन में भेजा जाएगा, जब पूरी तरह सुनिश्चित हो जाए कि इनके पास फांसी से बचने का कोई विकल्प नहीं रहा या डेथ वारंट की तारीख आगे नहीं बढ़े। फांसी की चर्चाओं के प्रभाव से बचाने के लिए इनको अन्य कैदियों से अलग रखा गया है और सीसीटीवी से लगातार नजर रखी जा रही है।
कसूरी वार्ड में दूसरे कैदी को आने की अनुमति नहीं होती। पहले मुकेश, पवन, अक्षय जहां थे, वहां दूसरे कैदी आ-जा सकते थे, लेकिन कसूरी वार्ड में सिर्फ सुरक्षाकर्मियों को ही आने की अनुमति है।
गुनहगारों की आखिरी बार जेल अधीक्षक करेंगे पहचान
दोषियों को फांसी पर लटकाने से पहले पहचान की प्रक्रिया से गुजरना होगा। जेल मैनुअल के नियमों के अनुसार फांसी घर से पहले परिसर में जेल अधीक्षक, मजिस्ट्रेट, मेडिकल ऑफिसर मौजूद रहेंगे। जिस दोषी को फांसी पर लटकाया जाएगा, यहां जेल अधीक्षक उसकी पहचान कर सुनिश्चित करेंगे कि यह वही दोषी है, जिसके नाम से डेथ वारंट जारी हुआ है। इसके बाद दोषी को डेथ वारंट पढ़कर सुनाया जाएगा और उसके बाद मुंह को काले रंग के कपड़े से ढक दिया जाएगा।
एक गैर सरकारी संगठन ने दोषियों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करने और इसके लिए उनके साथ एक बैठक की मांग को लेकर पटियाला हाउस अदालत में अर्जी दाखिल की है। इस अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई होगी। गुरुवार को सरकारी वकील ने अदालत में कहा कि इस अर्जी पर अपना पक्ष रखने के लिए समय चाहिए।