नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था में छोटे और मझोले उद्योगों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए सरकार ने एमएसएमई इकाइयों के लिए कंप्लायंस का बोझ घटाने के उपाय करते हुए ऑडिट के लिए इनके टर्नओवर की सीमा को एक करोड़ रुपये से बढ़ा कर पांच करोड़ कर दिया है। साथ ही एमएसएमई इकाइयों के लिए सबोर्डिनेट कर्ज की एक स्कीम शुरू करने की घोषणा भी की गई है। घरेलू मोर्चे पर सफल मझोली इकाइयों को विदेशी बाजारों तक पहुंच बनाने में मदद भी की जाएगी।
नोटबंदी और जीएसटी से सबसे प्रभावित होने और देश में सबसे अधिक रोजगार देने वाले सुक्ष्म, छोटे व मझोले उद्योगों (एमएसएमई सेक्टर) की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने फैक्टर रेगुलेशन एक्ट में संशोधन का ऐलान किया। इसके साथ ही देश में सफलता के झंडे गाड़ने वाले मझोले उद्योगों को विदेशी बाजार में पैर जमाने के लिए भी मदद दी जाएगी।
निर्मला सीतारमण के अनुसार, एमएसएमई सेक्टर के लिए पिछले कुछ सालों में कई राहतें दी गई हैं। उसी दिशा में कुछ और राहतें दी जा रही हैं। जिनमें सबसे अहम है 2011 में फैक्टर रेगुलेशन एक्ट में संशोधन। सीतारमण ने कहा कि संशोधन के बाद गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) के लिए एमएसएमई के लिए इनवायस फाइनेंसिंग का रास्ता साफ हो जाएगा।
इससे छोटे व मझोले उद्योगों को वर्किग कैपिटल की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। वर्किग कैपिटल की कमी को दूर करने के लिए बजट में सहायक कर्ज के लिए नई स्कीम का प्रस्ताव किया गया है। एमएसएमई उद्योगों को बैंकों का दिया यह सहायक कर्ज शेयर के समान माना जाएगा। यही नहीं, बैंकों को इस कर्ज के डूबने का कोई डर नहीं होगा, क्योंकि क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फॉर मीडियम एंड स्मॉल इंटरप्राइजेज (सीजीटीएमएसई) इसकी गारंटी लेगा। इसके लिए सरकार सीजीटीएमएसई के लिए फंड की व्यवस्था करेगी।
बजट में मझोले उद्योगों को विदेशी बाजारों में प्रतिस्पर्धा में उतरने लायक बनाने की तैयारी की गई है। सीतारमण ने कहा कि कुछ मझोली कंपनियां देश के भीतर धाक जमाने में सफल रही हैं, लेकिन विदेशी बाजार में उनकी उपस्थिति नगण्य है। ऐसे उद्योगों को विदेशी बाजार में पैर जमाने के लिए विशेष सहायता दी जाएगी। इसके लिए उन्होंने खासतौर पर फार्मास्यूटीकल्स और ऑटो क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों का जिक्र किया।
ऐसी कंपनियों को तकनीकी उन्नयन, शोध व विकास, कारोबारी रणनीति बनाने में सहायता के लिए 1000 करोड़ रुपये की स्कीम लाई जाएगी। एक्जिम बैंक के साथ मिलकर सिडबी इस फंड की देखरेख करेगा। ये दोनों बैंक भी इसमें 50-50 करोड़ का योगदान करेंगे, जिसे शेयर व तकनीकी सहयोग के रूप में उपयोग किया जाएगा। वहीं, बाकी के बचे हुए 900 करोड़ रुपये ऐसी कंपनियों को कर्ज देने के लिए उपलब्ध होगा।
इसके साथ ही आरबीआइ की ओर से एमएसएमई उद्योगों को कर्ज के नवीनीकरण की सुविधा को एक साल के लिए बढ़ा दिया गया है। पहले यह इसी साल 31 मार्च तक के लिए था, लेकिन एमएसएमई अब 31 मार्च 2021 तक इसका लाभ उठा सकते हैं। अभी तक देश में पांच लाख एमएसएमई इसका लाभ उठा चुके हैं।