वाशिंगटन । ईरान से बढ़े तनाव के बीच अमेरिका ने अपने परमाणु जखीरे में एक नया हथियार शामिल किया है। कम क्षमता वाले डब्ल्यू 76-2 नामक परमाणु बम को लंबी दूरी तक मार करने वाली मिसाइलों के साथ पनडुब्बियों पर तैनात किया गया है।
अमेरिका के सामरिक परमाणु जखीरे में पिछले कई दशकों में शामिल किया गया यह पहला हथियार है। इसे दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त करने की दिशा में घातक हथियारों पर निर्भरता कम करने की ओबामा प्रशासन की नीति की विदाई माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की परमाणु हथियारों में रुचि के मद्देनजर ही डब्ल्यू 76-2 की तैनाती की गई है। नए हथियार की तैनाती की पुष्टि करते हुए अमेरिकी रक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, इससे अमेरिकी नागरिक ज्यादा सुरक्षित होंगे क्योंकि इससे परमाणु युद्ध की आशंका कम होगी। लेकिन कुछ विपक्षी डेमोक्रेटिक नेताओं ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि इससे युद्ध का खतरा बढ़ सकता है। सूत्रों के अनुसार, गत दिसंबर के अंतिम सप्ताह में अटलांटिक महासागर में यूएसएस टेनेसी से इसकी तैनाती शुरू की गई।
रूस को परमाणु युद्ध से रोकने की दलीलअमेरिकी रक्षा नीति से जुड़े अंडर सेक्रेटरी ने सोमवार को एक इंटरव्यू में कहा, अमेरिका सिर्फ असाधारण परिस्थितियों में ही परमाणु हथियारों के उपयोग की नीति को बनाए रखेगा। यह नया हथियार रूस को सीमित परमाणु युद्ध करने से रोकने में मददगार होगा। हिरोशिमा पर गिराए गए बम से एक तिहाई कम क्षमताविशेषज्ञों का मानना है कि डब्ल्यू 76-2 का वजन पांच किलो टन हो सकता है। इसका मतलब हुआ कि यह द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जापान के हिरोशिमा शहर पर गिराए गए ‘लिटिल ब्वॉय’ परमाणु बम से एक तिहाई कम तबाही मचाने वाला हो सकता है।