प्रयागराज। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हुई हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि, जिन्होंने सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है, उन्हीं से इसकी भरपाई भी होगी। जिसके बाद पुलिस व जिला प्रशासन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए तमाम लोगों को रिकवरी के लिए नोटिस जारी किया। लेकिन कानपुर के एक शख्स ने इस मामले में हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। हाईकोर्ट ने जारी वसूली नोटिस पर रोक लगा दी है। साथ ही एक माह के भीतर राज्य सरकार को काउंटर ऐफिडेविट फाइल करने का समय दिया है।
दरअसल, कानपुर में बीते 19 व 20 दिसंबर को सीएए के विरोध में हिंसा हुई थी। हिंसा के दौरान दो पुलिस चौकियों को आग के हवाले कर दिया गया, तमाम सार्वजनिक संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को चिन्हित कर उन्हें नोटिस भेजा। यह भी कहा कि, अपनी बेगुनाही 30 दिन के भीतर साबित करना होगा। यह नोटिस कानपुर के रहने वाले मोहम्मद फैजान को भी मिली।
फैजान ने नोटिस को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका दायर की। गुरुवार को याचिका पर जज पंकज नकवी व जज सौरभ श्याम की पीठ ने सुनवाई की और अपर जिलाधिकारी (एडीएम) द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगा दी। पीठ ने कहा- सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इस तरह के आदेशों की जांच कर रही है। इस आदेश के बाद याचिकाकर्ता मोहम्मद फैजान को अंतरिम राहत मिली है।
याची के वकील पीठ के सामने तर्क रखा कि, वसूली का नोटिस एडीएम के द्वारा जारी किया गया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया है कि, इस तरह के मामलों में आदेश केवल सेवारत या सेवानिवृत्त हाईकोर्ट के जज या दावा आयुक्त के रुप में सेवानिवृत्त जिला जज द्वारा दिया जा सकता है।
बेंच ने राज्य सरकार को इस बात के भी निर्देश दिए कि इस मामले में एक महीने के भीतर काउंटर ऐफिडेविट फाइल किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले को उपयुक्त पीठ के सामने अगली सुनवाई के लिए 20 अप्रैल 2020 से शुरू होने वाले सप्ताह में सूचीबद्ध किया जाए। बेंच ने मामले को 20 अप्रैल से शुरू हो रहे सप्ताह में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। साथ ही राज्य सरकार को एक माह के भीतर काउंटर ऐफिडेविट दाखिल करना होगा।