तलखनऊ। ‘भातखंडे – कल,आज और कल’ विषय पर आधारित उत्कर्ष संगोष्ठी का 10वाँ चरण राजधानी के इस विश्व विख्यात संगीत शिक्षा संस्थान में चल रही अवैधानिक और उत्पीड़नकारी गतिविधियों पर सिमटकर रह गया। प्रख्यात सारंगीवादक प. विनोद मिश्रा तथा तबला वादक गिरधर मिश्रा की दुखद मृत्यु की छाया पूरी संगोष्ठी के विषय पर छाई रही। स्व० प० विनोद मिश्रा की पुत्री प्रीति मिश्रा ने संगोष्ठी में बोलते हुए कहा कि वे अपने बचपन में अपने पिता के साथ भातखंडे जाती थीं तो चारों ओर घुँघरूओं की आवाजें सुनाई देती थीं, लेकिन वर्तमान कुलपति श्रुति सडोलिकर की उत्पीड़क मनोवृत्ति का नतीजा है कि अब भातखंडे में श्मशान का सन्नाटा पसरा रहता है। छात्र-छात्राओं के अलावा संस्थान के शिक्षक भी कुछ बोलने से कतराते हैं। ऐसे माहौल में संगीत जैसी रचनात्मक कला का क्या विकास हो सकता है? कथक नृत्यांगना सुरभि सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि पिछले ग्यारह वर्षों में भातखंडे में ऐसा क्या हो गया है कि एक भी राष्ट्रीय स्तर का कलाकार उठकर बाहर नहीं आया है बल्कि पूरी दुनिया में भारतीय संगीत का नाम रोशन करने वाले प० विनोद मिश्रा जैसे कलाकारों की दर्दनाक मौतों का सिलसिला लगातार जारी है और उत्तर प्रदेश सांस्कृतिक कार्य विभाग कुंभकर्ण की नींद सोया हुआ है। एक दशक पूर्व भातखंडे में लंबी तालाबंदी क्या चुके पूर्व संगीत शिक्षक धर्मनाथ मिश्रा ने कहा कि उन्हें तो उच्च न्यायालय के माध्यम से न्याय मिल गया लेकिन भातखंडे में वर्तमान कुलपति के अन्याय के शिकार अनेक शिक्षक परिवार आज भी न्याय से वंचित हैं जिनपर उत्तर प्रदेश सरकार विशेषकर राज्यपाल महोदया को तत्काल ध्यान देना चाहिए। संगोष्ठी में विचार रखने वालों में कवियित्री श्रीमती किरण भारद्वाज, शायर एचबी किदवई एडवोकेट,गायक परवेज, विकास मिश्रा, भाजपा नेता श्रीमती सुशीला मिश्रा आदि वक्ताओं ने भातखंडे की स्थिति तत्काल सुधारने के लिए सरकार से अपील की।
संगोष्ठी प्रभारी विमल प्रकाश ने आगामी समय में भी भातखंडे को संगोष्ठी विषय बनाते रखने की जानकारी सभी वक्ताओं को दी। आयोजक जाहिद अली और मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।