लखनऊ में पहली बार मिलेंगी प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप सेवाएं
२ महीने में हुई १०० से भी ज्यादा सफल सर्जरी
लखनऊ। मेदांता अस्पताल, एशिया के अग्रणी और विश्वसनीय हेल्थकेयर समूह ने कल शनिवार प्रेस वार्ता का आयोजन किया जिसमें उन्होंने उनके द्वारा दी जाने वाली विशिष्ठ उपचार सुविधाओ, गंभीर मामलों, कॉम्प्लेक्स सर्जरी के बारे बताया। उन्होंने यह भी बताया कि सिर्फ दो महीने की अवधि में मेदांता के डॉक्टरों की टीम ने 100 से भी ज्यादा जटिल सर्जरी को सफलतापूर्वक किया है।
मेदांता अस्पताल, एक्जीक्यूटिव हेल्थ चेक-अप सेंटर का उद्घाटन भी किया गया, जो कि प्रिवेंटिव हेल्थ के तहत लोगों को एक्जीक्यूटिव हेल्थ चेक-अप सेवाएं प्रदान करेगा। यह हेल्थ चेक-अप सेंटर लखनऊ का पहला ऐसा सेंटर है जो मरीजों को होने वाली बीमारियों का पूर्व पता लगाने व उनका निदान करने में सक्षम होगा। इस सेट-अप में विभिन्न प्रकार की बीमारियों का पता लगाया जा सकता है। निदान किए गए मरीजों को 12 घंटे के अंदर रिपोर्ट दे दी जाएगी।
प्रेस वार्ता में मौजूद डॉक्टरों में, जीआई सर्जन डॉ. आनंद प्रकाश, कार्डियक सर्जन डॉ. आलोक गुप्ता, न्यूरो सर्जन डॉ. रविशंकर, डाइरेक्टर सीटीवीएस डॉ. गौरंगो मजूमदार, और मेडिकल डाइरेक्टर डॉ. राकेश कपूर ने पेल्विक फ्लोर रिपेयर सर्जरी, मेटास्टैटिक स्टमक कैंसर , सबरैचनोइड हेमरेज (जो कि जान के खतरे वाला एक स्ट्रोक है जो मस्तिष्क के आसपास रक्तस्राव के कारण होता है जो रोगी के मामले को जटिल एवं दुर्लभ बनाता है) और हार्ट बाईपास सर्जरी जैसी जटिल परिस्थितियों के बारे में बताया।
मेदांता के निर्देशक यूरोलॉजी और एंड्रोलॉजी डॉ. राकेश कपूर, ने केस की जानकारी देते हुए कहा कि, “65 वर्षीय सिमरत कौर, में ग्रेड -4 सिस्टोसेले और एंटरोसेले के लक्षण पाए गए जिसके कारण उसे मूत्राशय और आंत में 2 महीने तक तेज़ दर्द के साथ बार बार पेशाब और जलन की समस्या थी यह मामला कम्पलीट पेल्विक ऑर्गन प्रोलैप्स और उच्च रक्तचाप का था। इस प्रकार के मामले जटिल होते जाते हैं क्योंकि वे मरीज द्वारा नजरदांज कर दिए जाते हैं। हमनें प्रोलैप्स के फोर्थ स्टेज की सफल सर्जरी की है।”
दूसरे केस की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि 58 वर्षीय मरीज शैल कुमारी का मामला जो खोई हुई इच्छा शक्ति और बहुत कम उम्मीदों के साथ हमारे अस्पताल में आई थी, उनको सोते समय अंगों में दर्द की शिकायत, बोलने में कठिनाई और चिंता से पीड़ित थी, यह जानलेवा स्ट्रोक का मामला था यह तब होता है जब मस्तिष्क ऑक्सीजन और रक्त की आपूर्ति से वंचित रह जाता है। यह आमतौर पर उच्च रक्तचाप ( हाइपरटेंशन ), रक्त वाहिकाओं विकार, या सिर के आघात ( हेड ट्रॉमा ) के कारण होता है। हमारे न्यूरो सर्जन ने उपचार शुरू किया जो रक्तस्राव को रोकने, रक्त के थक्कों को हटाने और मस्तिष्क को दबाव से राहत देने पर केंद्रित था । अब मरीज बिना किसी समस्या के स्वस्थ है।”
मेदांता के डायरेक्टर कार्डियोथोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी (CTVS) डॉ. गौरांगा मजूमदार ने कहा, ” एक 22 वर्षीय लड़का जिसकी पसली टूट चुकी थी जिस वजह से दिल की मुख्य धमनी भी कट चुकी थी, जिससे उसके दिल में रक्त का प्रवाह कम हो गया, और उसको एक बड़े पैमाने का दिल का दौरा पड़ा और हार्ट केवल 10% काम करने लायक बचा था, ऐसी स्थिति में ऑपरेशन करना बहुत मुश्किल था। लेकिन डॉक्टर्स की टीम ने उसका जीवन बचाने के लिए हाई-रिस्क बायपास सर्जरी करने का फैसला लिया और यह सफलतापूर्वक की गई।”
इसके अलावा उन्होंने फोर्थ स्टेज के कार्सिनोमा स्टमक के मामले के बारे में भी बताया जहां रोगी केवल 10 से 12 महीनों तक ही जीवित रह सकता है। और यह केवल 0.05% आबादी में ही पाया जाता है । श्री योगेन्द्र त्रिपाठी 55 वर्ष की आयु में फोर्थ स्टेज के कार्सिनोमा स्टमक से पीड़ित थे। हमारे कार्डियक सर्जन और मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट ने कीमोथेरेपी प्रारंभ की जिसका उद्देश्य बीमारी को नियंत्रित करते हुए उपचार शुरू करना था कोशिकाओं के ट्यूमर में मॉलिक्यूलर टेस्टिंग एक चुनौतीपूर्ण कार्य था। इस प्रक्रिया के बाद एक लक्ष्य के आधार पर कीमो द्वारा राह आसान कर दी और मरीज में जीने की इच्छा शक्ति को जगा दिया।”