महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि किसी को भी नागरिकता संशोधन कानून से डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि वे राज्य में एनआरसी को लागू नहीं होने देंगे। उद्धव ने आगे यह भी कहा कि एनपीआर को लागू करने से पहले वे व्यक्तिगत तौर पर उस फॉर्म की जांच करेंगे।
सिंधुदुर्ग में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा- “सीएए और एनआरसी दो अलग मुद्दे हैं। एनपीआर तीसरा मुद्दा है। किसी को भी सीएए से डरने की जरूरत नहीं है। एनआरसी न आया है और न आएगा। अगर एनआरसी लागू किया जाता है तो ये न सिर्फ मुसलमानों के लिए बल्कि हिन्दू, दलित, आदिवासी और अन्य लोगों के लिए भी मुश्किलें पैदा कर देगा। केन्द्र ने एनआरसी पर कोई बयान नहीं दिया है। एनपीआर एक जनगणना है और मैं खुद इसके कॉलम की व्यक्तिगत तौर पर जांच करूंगा। मैं नहीं मानता हूं कि इससे कोई समस्या होगी। जनगणना हर दस साल पर की जाती है।”
सीएए का समर्थन करने पर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के बीच दरार पैदा हो सकती है, जो महाराष्ट्र में मिलकर गठबंधन की सरकार चला रही हैं। कांग्रेस और एनसीपी सीएए और एनआरसी का विरोध करती रही है। लेकिन, शिवसेना ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन कानून का समर्थन किया और राज्यभा में दिसंबर 2019 में वोटिंग के वक्त वॉक आउट कर गई थी।
इस महीने की शुरुआत में शिवसेना के मुखपत्र सामना में दिए इंटव्यू में ठाकरे ने कहा था कि एनआरसी को राष्ट्री स्तर पर लागू करने की अब तक घोषणा नहीं की गई है। महाराष्ट्र में शाहीन बाग जैसे प्रदर्शन की कोई आवश्यकता नहीं है।