लखनऊ। बच्चों को कारगर तरीके से पढ़ाने और सिखाने-समझाने के लिए परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों के पास तकनीकों और प्रयोगों का पिटारा होगा। बेसिक शिक्षा विभाग के अधीन समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय ने बुनियादी शिक्षा को मजबूत आधार देने के लिए तीन पिटारे (मॉड्यूल) तैयार कराए हैं। पहली से तीसरी कक्षा के बच्चों की पढ़ाई की नींव मजबूत करने के लिए आधारशिला मॉड्यूल विकसित किया गया है। इसमें बताया गया है कि इन तीनों कक्षाओं से संबंधित लर्निंग आउटकम (बच्चों के सीखने-समझने के लिए कक्षावार निर्धारित लक्ष्य) को हासिल करने के लिए शिक्षक कौन-कौन सी गतिविधियां करें। इस मॉड्यूल में गणित और भाषा पर जोर होगा।
दूसरा मॉड्यूल कक्षा एक से आठ तक के बच्चों की रेमेडियल टीचिंग के लिए तैयार कराया गया है जिसे ‘ध्यानाकर्षण’ नाम दिया गया है। रेमेडियल टीचिंग उन बच्चों के लिए विशेष किस्म का प्रशिक्षण होता है जो अपनी कक्षा के अन्य बच्चों से पढ़ाई में पीछे होते हैं। इस मॉड्यूल में शिक्षकों के लिए 17 ऐसी तकनीकें डिजाइन की गई हैं जिनका इस्तेमाल करके वे बच्चों को पाठ्यक्रम समझाने-सिखाने में कामयाब हों। इन तकनीकों में ग्रुप वर्क, पीयर लर्निंग (सहपाठियों के साथ सिखाना), प्रोजेक्ट वर्क आदि शामिल हैं। मकसद यह है कि शिक्षक बच्चों को सिखाने-समझाने के लिए पहले एक तकनीक का इस्तेमाल करे। यदि वह कामयाब न हुई तो दूसरी और फिर तीसरी तकनीक का उपयोग किया जा सकता है।
तीसरा मॉड्यूल जिसे ‘शिक्षण संग्रह’ नाम दिया गया है, ऐसा पिटारा होगा जिसमें लर्निंग आउटकम हासिल करने के लिए लेसन प्लान, टीचिंग प्लान, टाइमटेबल आदि भी होगा। चूंकि परिषदीय स्कूल में कहीं दो व कहीं तीन या इससे ज्यादा शिक्षक भी तैनात हैं। लिहाजा शिक्षण संग्रह में यह भी बताया गया है कि जहां दो शिक्षक हो, वहां टाइमटेबल और सिलेबस के हिसाब से कैसे पढ़ाई करायी जाए और जहां तीन शिक्षक हो, वहां कैसे।
इनके अलावा पेशेवरों की ओर से आइडियल टीचिंग प्लान के तीन से पांच मिनट के वीडियो भी तैयार कराये गए हैं जो शिक्षक का मार्गदर्शन करेंगे कि किसी लर्निंग आउटकम को हासिल करने के लिए क्या करें। इन वीडियो को यू ट्यूब, दीक्षा एप और वाट्सएप के जरिये शिक्षकों को भेजा जाएगा। समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक विजय किरण आनंद ने बताया कि इन मॉड्यूल के इस्तेमाल के लिए राज्य स्तर पर मास्टर ट्रेनर तैयार किये जा रहे हैं जो ब्लॉक संसाधन केंद्रों पर शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।