नई दिल्ली। दिल्ली में नागरिकता कानून पर हिंसा को लेकर पूर्व केन्द्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने केन्द्र सरकार पर हमला बोला है। चिदंबरम ने मंगलवार को कहा कि सत्ता में असंवेदनशील और अदूरदर्शी नेताओं के चलते लोगों को इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है।
उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून को तत्काल अलग रखकर सरकार को लोगों की आवाज सुननी चाहिए और सीएए पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक उस पर रोक लगाना चाहिए।सोमवार को दिल्ली में नागरिकता कानून पर उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के चलते एक कांस्टेबल समेत सात लोगों की मौत हो गई जब पैरामिलिट्री फोर्स और दिल्ली पुलिस के जवानों समेत कम से कम 50 लोग घायल हुए हैं।
गुस्से प्रदर्शनकारियों ने पत्थर फेंकने के साथ कई घरों, गाड़ियों, दुकानों और पेट्रोल पंप में आग लगा दी। चिदंबरम ने कहा कि सोमवार को दिल्ली में जिस तरह की हिंसा हुई और लोगों की जान गई उसकी कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए।
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन और विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा के बाद राष्ट्रीय राजधानी में हालात पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को एक बैठक की। इस बैठक में शांति बहाल करने के उपायों पर चर्चा हुई। उत्तर पूर्वी दिल्ली में अलग अलग स्थानों पर हुई हिंसा में एक हेड कॉन्स्टेबल सहित सात लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
गृह मंत्री अमित शाह की बैठक में उप राज्यपाल अनिल बैजल, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, दिल्ली के पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक, कांग्रेस नेता सुभाष चोपड़ा, भाजपा के नेता मनोज तिवारी और रामवीर बिधूड़ी शामिल हुए। केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला, खुफिया ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार भी बैठक में मौजूद थे। इससे पहले शाह ने राष्ट्रीय राजधानी में कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए सोमवार रात को भी एक बैठक की थी।