बीजिंग। एक ओर जहां पूरी दुनिया के तमाम देश कोरोनावायस के प्रकोप से परेशान हैं वहीं दूसरी ओर चीन के वैज्ञानिकों ने एक नई खोज की है। इस खोज के तहत वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने जो नई किट डेवलप की है उसके जरिए मात्र 29 मिनट में ही कोरोनावायरस का टेस्ट किया जा सकता है। राष्ट्रीय चिकित्सा उत्पाद प्रशासन की ओर से इस किट को एप्रुवल के लिए भेजा गया है। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार COVID-19 एंटीबॉडी के लिए 29 मिनट में उपलब्ध परिणामों के साथ रैपिड टेस्टिंग किट को राष्ट्रीय चिकित्सा उत्पाद प्रशासन द्वारा अनुमोदित किया गया।
ज़ियामेन विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक शोध दल द्वारा इस किट को विकसित किया गया है। किट का उपयोग clinical cases (नैदानिक मामलों), suspected cases (संदिग्ध मामलों) और high-risk groups (उच्च-जोखिम वाले समूहों) की स्क्रीनिंग के लिए किया जा सकता है। इस किट का उपयोग किए जाने के बाद कोरोनावायरस से संक्रमित लोगों का सैंपल लेकर उनका जल्द परीक्षण किया जा सकेगा। उसके बाद उनको जल्द इलाज मिल पाएगा जिससे वो जल्द रिकवर भी कर सकेंगे।
किट को डेवलप करने वालों की ओर से बताया गया कि इस किट का टेस्ट कोरोनावायरस का केंद्र रहे वुहान के क्लीनिक में किया गया है, उसी के बाद इस नतीजे पर पहुंचा गया कि इस किट के जरिए 29 मिनट में टेस्ट को पता लगाया जा सकता है। न्यूक्लिक एसिड परीक्षणों और एंटीबॉडी का पता लगाने के संयोजन ने पहचान दर में सुधार किया है। किट के डेवलपरों के अनुसार COVID-19 के लिए three antibody reagents (तीन एंटीबॉडी अभिकर्मकों) को यूरोपीय संघ द्वारा एप्रुव किया गया है और इटली, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड सहित देशों को निर्यात किया गया है।
उधर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने आगाह किया है कि दुनिया के कई देश जानलेवा कोरोना वायरस को गंभीरता से नहीं ले रहे। दुनिया को इस समय ज्यादा गंभीरता दिखाने की जरूरत है। चीन से फैला यह वायरस दुनिया के करीब 85 से अधिक देशों तक पहुंच चुका है। अब तक 3,300 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। संक्रमित लोगों की संख्या एक लाख के करीब पहुंच रही है।
डब्ल्यूएचओ के प्रमुख महानिदेशक ट्रेडोस अदनोम घेबरेसस ने कहा कि ऐसे देशों की लंबी सूची है, जिनमें राजनीतिक प्रतिबद्धताओं का अभाव दिख रहा है। यह कोई ड्रिल नहीं है। इस प्रकोप से हर अमीर और गरीब देश को खतरा है। इस समय आक्रामक तैयारी की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ का यह बयान उन खबरों के बाद आया, जिनमें अमेरिका की सबसे बड़ी नर्सिग यूनियन के हवाले से बताया गया कि देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए अस्पताल तैयार नहीं हैं। यूरोप में भी कई चिकित्सा कर्मचारियों ने अस्पतालों में तैयारियों के अभाव को लेकर चिंता जताई है।
वेटिकन और भूटान में भी पहुंचा कोरोना
एक हजार की आबादी वाले वेटिकन में शुक्रवार को कोरोना के पहले मामले की पुष्टि हुई थी। इस बीच वेटिकन ने कहा कि वायरस के प्रकोप के चलते पोप फ्रांसिस के बेथलहम दौरे में बदलाव हो सकता है। इधर, हिमालयी देश भूटान में भी पहले मामले की खबर आ चुकी है। एक अमेरिकी पर्यटक में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है।