कोरोना वायरस का मुकाबला करने के लिए संयुक्त रणनीति बनाने के वास्ते दक्षेस देशों के साथ वीडियो कांफ्रेंस संवाद में पाकिस्तान ने कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए कहा कि कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए जम्मू कश्मीर में सभी तरह की पाबंदी को हटा लेना चाहिए। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के स्वास्थ्य मामलों पर विशेष सहायक जफर मिर्जा ने कहा कि कोरोना वायरस फैलने के मद्देनजर उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए कोई भी देश मुंह नहीं मोड़ सकता है। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें सर्वश्रेष्ठ की उम्मीद करनी चाहिए और सबसे खराब के लिए तैयार रहना चाहिए।
मिर्जा ने कहा, ”स्वास्थ्य में समानता सार्वजनिक स्वास्थ्य का एक मूल सिद्धांत है। इस संबंध में, मुझे कहना है कि यह चिंता का विषय है कि जम्मू कश्मीर से कोविड-19 के मामले दर्ज किए गए हैं और स्वास्थ्य आपात स्थिति में यह जरूरी है कि वहां तत्काल सभी पाबंदियों को हटा लेना चाहिए।” उन्होंने कहा, ”संचार और आवाजाही को खोले जाने से सूचना का आदान-प्रदान होगा, दवाइयों के वितरण और रोकथाम की अनुमति होगी।” पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का प्रयास करता आया है, लेकिन भारत ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना उसका ”आंतरिक मामला” है। भारत ने कहा था कि पाकिस्तान सच्चाई को स्वीकार करे और भारत विरोधी बयानबाजी को रोके।
इस घातक विषाणु के चलते 135 से अधिक देशों और क्षेत्रों में 5700 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 150,000 से अधिक लोग संक्रमित हैं। सबसे अधिक मार चीन पर पड़ी है जहां 80000 से अधिक लोग इस संक्रमण के शिकार हुए और 3199 मौतें हो गईं। पाकिस्तान में कोरोना वायरस से किसी की मौत नहीं हुई है, जबकि भारत में दो लोगों की जान चली गई। पाकिस्तान में इस बीमारी के 34 मामले सामने आए हैं, जबकि भारत में 107 लोगों के संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। अफगानिस्तान में इस रोग के 11 मामले सामने आए, जबकि श्रीलंका में दस मामलों की पुष्टि हुई है। मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल और भूटान में एक-एक मामले सामने आए।
वहीं दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए दक्षेस देशों के नेताओं और प्रतिनिधियों से कोरोना वायरस से निपटने के लिये संयुक्त रणनीति बनाने को लेकर संवाद करते हुए सतर्क रहने की जरूरत पर बल दिया। साथ ही उन्होंने इसको लेकर नहीं घबराने की अपील की। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे, मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली, भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के स्वास्थ्य ममलों पर विशेष सहायक जफर मिर्जा शामिल हुए।
अपने शुरुआती संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ”दक्षेस क्षेत्र में कोरोना वायरस से संक्रमण के लगभग 150 मामले आए हैं, लेकिन हमें सतर्क रहने की जरूरत है। तैयार रहें लेकिन घबराएं नहीं..यही हमारा मंत्र है।” उन्होंने दक्षेस देशों के नेताओं से कहा कि हमने कोरोना वायरस के फैलने के मद्देनजर मध्य जनवरी से ही भारत में प्रवेश करने वाले लोगों की जांच का काम शुरू किया था और धीरे-धीरे यात्रा पाबंदी को बढ़ाया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कोविड-19 पर कहा, ”एक-एक करके उठाए गए हमारे कदमों से अफरा-तफरी से बचने में मदद मिली, संवेदनशील समूहों तक पहुंचने के लिए विशेष कदम उठाए।”