प्रयागराज. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में उत्तर प्रदेश के जिलों में हुई हिंसा के मामलों को लेकर दाखिल याचिकाओं पर बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस सुमित गोपाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई। इस दौरान योगी सरकार यूपी लोक तथा निजी संपत्ति क्षति वसूली अध्यादेश-2020 की वैद्यता को चुनौती देने वाली याचिका पर बेंच ने स्टे देने से इंकार कर दिया। साथ ही वसूली रोकने वाली याचिका पर भी स्टे नहीं दिया गया। अदालत ने 25 मार्च तक राज्य सरकार को इस प्रकरण में जवाब दाखिल करने का समय दिया है। 27 मार्च को अब मामले की सुनवाई होगी।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने सभी याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है। कोर्ट अब सभी याचिकाओं पर 25 मार्च को अंतिम सुनवाई करेगी। दरअसल, मुंबई के वकील अजय कुमार के चीफ जस्टिस को लिखे पत्र पर हाईकोर्ट ने जनहित याचिका कायम की है। इसके साथ ही दर्जनभर अन्य याचिकाएं भी इस मामले में हाईकोर्ट में दाखिल की गई हैं।
लखनऊ पोस्टर मामले में सरकार को मिली फौरी राहत
लखनऊ हिंसा में सार्वजानिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के पोस्टर हटाने के मामले में योगी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट से फौरी तौर पर राहत मिल गई है। चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और राकेश सिन्हा की पीठ ने सरकार को 10 अप्रैल तक की मोहलत दी है। सरकार को यह राहत सोमवार को दाखिल की गई अर्जी पर मिली है। इसमें अनुपालन रिपोर्ट पेश करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपील का हवाला देकर अतिरिक्त समय मांगा गया था।
हाईकोर्ट ने दिया था पोस्टर हटाने का आदेश
वसूली वाले पोस्टर लगाने के मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों के पोस्टर हटाने का आदेश दिया था। साथ ही 16 मार्च तक हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट पेश करने को कहा गया था। लेकिन, प्रदेश सरकार हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। हालांकि, शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई और मामले को बड़ी पीठ के लिए रेफर कर दिया। पोस्टर हटाने की समय-सीमा ख़त्म होने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित होने का हवाला देकर और वक्त मांगा था। हाईकोर्ट में अब 10 अप्रैल को इस मामले की सुनवाई होगी। इस मोहलत को एक बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि यूपी सरकार पर अवमानना की कार्रवाई का खतरा मंडरा रहा था।