देश-दुनिया में लगातार पांव पसार रही कोरोना वायरस की महामारी से आम आदमी और उद्योगों की वित्तीय सुरक्षा के लिए सरकार ने मंगलवार को कई घोषणाएं की। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उद्योगों को जीएसटी, सीमा शुल्क, दिवालिया कानून सहित कई नियमों के पालन के लिए समयसीमा में छूट दी है। साथ ही जल्द ही विशेष राहत पैकेज का भी भरोसा दिया है।
वित्त मंत्री ने कहा, कोरोना वायरस के बाद देशभर में किए गए लॉकडाउन के मद्देनजर सरकार विभिन्न क्षेत्रों की मदद के लिए जल्द ही आर्थिक पैकेज की घोषणा करेगी। फिलहाल उद्योगों को जीएसटी रिटर्न दाखिल करने और सीमा शुल्क एवं केंद्रीय उत्पाद शुल्क संबंधी नियमों के पालन के लिए समयसीमा में ढील दी जा रही है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खतरे की रोकथाम के लिए आवागमन पर पाबंदी के बीच इन नियमों के पालन की अंतिम तिथि और वित्त वर्ष की समाप्ति (31 मार्च) नजदीक आ रही है। इस कारण उद्योग और व्यवसाय जगत काफी परेशान है। उनकी समस्याओं को समझते हुए सरकार ने अधिकतर अनुपालनों की समयसीमा 30 जून तक बढ़ा दी है।
वित्तमंत्री ने कहा कि उद्योगों को जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के लिए 30 जून तक की मोहलत दी जा रही है। सभी कारोबारी मार्च, अप्रैल और मई का जीएसटी रिटर्न 30 जून तक भर सकेंगे। साथ ही 5 करोड़ के सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों को लेटफीस, जुर्माने और ब्याज से भी छूट दी जाएगी। इसके अलावा जिन कंपनियों का सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपये से ज्यादा है, उन्हें भी लेटफीस से राहत दी जाएगी और जुर्माना रिटर्न भरने के 15 दिन बाद लगाया जाएगा। ये जुर्माना भी 9 फीसदी की घटी हुई दर पर वसूला जाएगा।
दो महीने बोर्ड बैठक नहीं
कंपनियों को अनिवार्य बोर्ड बैठक करने के लिए सरकार ने 60 दिन की मोहलत दी है। इसके अलावा कंपनियों के निदेशकों को 2020 में 182 दिन देश में रहने की अनिवार्यता से भी राहत दी गई है।
24 घंटे कस्टम क्लीयरेंस
आयातकों और निर्यातकों को राहत देने के लिए सरकार ने कस्टम क्लीयरेंस को 30 जून तक जरूरी सेवाओं में शामिल कर दिया है। इसके लिए कस्टम अधिकारी 24 घंटे काम करेंगे और उत्पादों की निर्बाध आवाजाही को सुनिश्चित कराएंगे।
विवाद से विश्वास योजना का दायरा बढ़ाया
सीतारमण ने प्रत्यक्ष कर विवादों को निपटाने के लिए शुरू की गई विवाद से विश्वास योजना का दायरा भी बढ़ाकर 30 जून तक कर दिया है। वित्तमंत्री ने कहा कि इस अवधि तक लंबित कर का भुगतान करने वालों को कोई ब्याज नहीं देना होगा। इससे पहले तक योजना का दायरा 31 मार्च, 2020 तक ही था। इस अवधि तक भुगतान करने वालों को कोई ब्याज नहीं देना पड़ता जबकि इसके बाद 30 जून तक 10 फीसदी ब्याज के साथ भुगतान लिया जाना था।
शेयर बाजार पर भी नजर
वित्तमंत्री ने कहा है कि बाजार नियामक सेबी और उनका मंत्रालय शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव की दिन में तीन बार मॉनिटरिंग करेंगे और किसी भी विषम परिस्थिति के लिए पर्याप्त कदम उठाए जाएंगे। इससे पहले सेबी ने शॉर्ट सेलिंग जैसे नियम लागू करने का फैसला किया था, बावजूद इसके बाजार में गिरावट का सिलसिला थम नहीं रहा है।
अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं और प्रधानमंत्री खुद निगरानी कर रहे हैं। विभिन्न क्षेत्रों पर नजर रखने के लिए टास्क फोर्स के सदस्यों से जानकारी लेकर उनका विश्लेषण किया जा रहा है और आर्थिक पैकेज तैयार करने पर काम चल रहा है। -निर्मला सीतारमण, वित्तमंत्री
छह महीने निलंबित हो सकता है दिवालिया कानून
वित्तमंत्री उद्योग जगत को सबसे बड़ी राहत देते हुए भुगतान में देरी पर दिवालिया प्रक्रिया से छूट दी है। निर्मला सीतारमण ने कहा कि मौजूदा संकट को देखते हुए 1 करोड़ तक के कर्ज के भुगतान में चूक पर दिवालिया प्रक्रिया से राहत दी जा रही है।
पहले यह सीमा 1 लाख रुपये की थी। इस कदम से लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम क्षेत्र की हजारों इकाइयों को बड़ी राहत मिलेगी। वित्तमंत्री ने कहा, अगर 30 अप्रैल के बाद भी मौजूदा स्थिति में कोई सुधार नहीं आता है तो दिवालिया कानून को 6 महीने के लिए निलंबित किया जा सकता है। यानी इस दौरान कंपनियों को दिवालिया एवं ऋणशोधन अक्षमता कानून (2016) की धारा 7, 9 और 10 का सामना नहीं करना पड़ेगा।
यह कदम कोरोना संकट के बीच कंपनियों के कर्ज भुगतान में होने वाली देरी को देखते हुए उठाया जा सकता है, ताकि उनका कर्ज डिफॉल्ट श्रेणी में न आए। कर्जदाता इस अवधि में आईबीसी कानून का लाभ नहीं उठा सकेंगे।