राजधानी रांची के कडरू के अशोक सेन जनरल स्टोर चलाते हैैं। लॉकडाउन के कारण दुकान बंद है और भविष्य की चिंता से आंखों की नींद गायब हो चुकी है। तनाव ज्यादा बढ़ा तो चिकित्सकों से परामर्श करने पर पता चला कि वे अवसाद ग्रस्त हो रहे हैैं। रीना गृहिणी हैैं। पति मेन रोड स्थित एक दुकान में काम करते हैैं। लगातार लॉकडाउन के कारण वे दुकान नहीं जा पा रहे हैैं। पति के रोजगार छिनने के डर से वह तनाव ग्रस्त हैैं। स्वभाव चिड़चिड़ा हो गया है। हाल के दिनों में ऐसी
शिकायतें लेकर लोग मनोचिकित्सा संस्थान रिनपास के चिकित्सकों के पास परामर्श के लिए आ रहे हैैं।
दरअसल महामारी कोरोना के वर्तमान संकट ने जहां लोगों की परेशानी बढ़ा दी है, वहीं लोगों के अवसाद में जाने का खतरा भी बढ़ गया है। कोरोना को लेकर डर तथा रोजी-रोजगार की चिंता इस अवसाद का सबसे बड़ा कारण बन रहा है। राज्य सरकार भी इसे लेकर काफी चिंतित है। स्वास्थ सचिव ने कहा है कि कोरोना को लेकर नागरिकों के मन में भय एवं चिंता की स्थिति है। संपूर्ण लॉकडाउन होने के कारण लोगों के घरों में रहने से उनके समक्ष रोजगार की भी चिंता बढ़ गई है। ऐसे में उनमें अवसाद में जाने की संभावना है। इसे लेकर, उन्होंने कांके स्थित केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआइपी) तथा रिनपास के निदेशकों को पत्र लिखकर हेल्पलाइन नंबर जारी करने का निर्देश दिया है ताकि कोई भी व्यक्ति चिंता की स्थिति में अवसाद में जाने से बचने के लिए मनोचिकित्सकों से परामर्श ले सके।
वर्तमान संकट में रोजगार की चिंता और डर अवसाद का कारण बन सकता है। उन्होंने लोगों से घर में ही आपस में बातें करते रहने का सुझाव दिया है । साथ ही कहा है कि कोरोना को लेकर कई भ्रांतियां हैं जिससे लोग डर रहे हैं। उन्होंने उससे बचने तथा अखबारों के माध्यम से सही सूचना प्राप्त करने का भी सुझाव दिया है। उन्होंने कहा है कि लोगों के मन में यह डर नहीं होना चाहिए कि उन्हें कोरोना हो सकता है। उनमें यह डर तभी नहीं होगा जब लोग लाकडाउन और सामाजिक दूरी के नियमों का पूरी तरह पालन करेंगे। साथ ही इससे बचाव को लेकर सारे एहतियाती कदम उठाते रहेंगे।