परमाणु शक्ति से लैस उत्तर कोरिया ने ‘बहुत बड़े रॉकेट लॉन्चर’ का सफल परीक्षण किया है। सरकारी मीडिया ने सोमवार (30 मार्च) को यह जानकारी दी। हालांकि इन खबरों में यह नहीं कहा गया है कि परीक्षण उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन की देखरेख में हुआ क्योंकि विश्लेषकों का कहना है कि प्योंगयांग इन परीक्षणों को बहुत सामान्य दिखाना चाहता है। उत्तर कोरिया इस महीने में इस तरह के चार परीक्षण कर चुका है।
सारी दुनिया जहां कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए संघर्ष कर रही है वहीं उत्तर कोरिया का दावा है कि उसके यहां कोविड-19 का एक भी मामला नहीं है। आमतौर पर आधिकारिक कोरियन सेंट्रल न्यूज एजेंसी (केसीएनए) इस तरह के परीक्षणों में किम जोंग उन का नाम जरूर लेती है लेकिन रविवार के परीक्षण की अपनी रिपोर्ट में उसने किम का नाम नहीं लिया। इसके उलट एजेंसी ने कहा कि परीक्षण का नेतृत्व सत्तारूढ़ दल के उपाध्यक्ष री प्योंग चोल ने किया और यह परीक्षण एकेडमी ऑफ नेशनल डिफेंस साइंस ने किया।
दक्षिण कोरिया ने कहा कि उत्तर कोरिया की ओर से रविवार (29 मार्च) को दो प्रक्षेपास्त्र दागे गए जो संभवत: बैलिस्टिक मिसाइल हैं। उसने कहा कि ये प्रक्षेपास्त्र उत्तर कोरिया के तटीय शहर वॉनसन से जापान सागर में दागे गए जिसे ईस्ट सी भी कहा जाता है। एसन इंस्टीट्यूट फॉर पॉलिसी स्टडीज में विश्लेषक मो म्यांग ह्यून ने कहा कि किम की गैरमौजूदगी दिखाकर उत्तर कोरिया परीक्षण को ज्यादा महत्व नहीं देना चाहता, बल्कि उसका जोर इस बात पर है कि मिसाइल परीक्षण सामान्य अभ्यास का ही हिस्सा है।
अमेरिका परमाणु वार्ता के लिए इच्छुक नहीं
वहीं, उत्तर कोरिया ने सोमवार (3 मार्च) को कहा कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो की ‘लापरवाह टिप्पणी’ साफ तौर पर यह दर्शाती है कि वॉशिंगटन परमाणु वार्ता को शुरू करने का इच्छुक नहीं है। साथ ही उत्तर कोरिया ने चेतावनी दी कि ‘अमेरिका ने जो दर्द हमारे लोगों को दिया है’, उसका भुगतान करना होगा।’ पिछले हफ्ते सात बड़े औद्योगिक देशों के समूह के विदेश मंत्रियों के साथ हुई टेली कॉन्फ्रेंस के बाद पोम्पियो ने संवाददाताओं से कहा था कि उत्तर कोरिया को परमाणु वार्ता के लिए वापस आने की अपील करने में पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकता बनाए रखनी चाहिए और इसके परमाणु एवं मिसाइल कार्यक्रम पर दबाव बनाना चाहिए।
वॉशिंगटन से बातचीत करने वाले विदेश मंत्रालय के महानिदेशक के हवाले से उत्तर कोरिया ने एक बयान में कहा कि पोम्पियो की टिप्पणी दर्शाती है कि अमेरिका के पास ‘टकराव की उल्टी गिनती’ रोकने के लिए कोई रणनीति नहीं है। हालांकि, बयान में इस बात को लेकर कोई जिक्र नहीं है कि उत्तर कोरिया क्या कार्रवाई करेगा, लेकिन इसमें कहा गया कि अमेरिका द्वारा उत्तर कोरिया को दिए गए कष्ट के लिए उसे भुगतान करना होगा। इसमें यह संदर्भ भी दिया गया कि किस तरह अमेरिकी नेतृत्व के प्रतिबंधों के चलते उत्तरी कोरिया की अर्थवयवस्था को नुकसान पहुंचा है। हालांकि, इससे पहले हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन को भेजे गए पत्र का हवाला देते हुए कहा गया कि इसका उद्देश्य द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाना और कोरोना वायरस महामारी से निपटने में सहयोग की पेशकश था।