आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच विवादित क्षेत्र नागोरनो-काराबाख को लेकर एक दिन पहले शुरू हुई लड़ाई सोमवार को भी जारी रही। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर घातक हमले करने का आरोप लगाया है। अजरबैजान ने इस जंग में आर्मीनिया के 550 सैनिकों के मारे जाने का दावा किया है।
अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि आर्मीनियाई बलों ने सोमवार सुबह टारटार शहर पर गोलाबारी शुरू कर दी। वहीं, आर्मीनिया के अधिकारियों ने कहा कि लड़ाई रातभर जारी रही और अजरबैजान ने सुबह के समय घातक हमले शुरू कर दिए। अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने इंटरफैक्स समाचार एजेंसी को सोमवार को बताया कि लड़ाई में आर्मेनिया के 550 से अधिक सैनिक मारे गए हैं।
वहीं, आर्मीनिया के अधिकारियों ने इस दावे को खारिज किया है। आर्मीनिया ने यह दावा भी किया कि अजरबैजान के चार हेलीकॉप्टरों को मार गिराया गया। जिस इलाके में आज सुबह लड़ाई शुरू हुई, वह अजरबैजान के तहत आता है, लेकिन यहां पर 1994 से ही आर्मीनिया द्वारा समर्थित बलों का कब्जा है। अजरबैजान के कुछ क्षेत्रों में मार्शल लॉ लगाया गया है तथा कुछ प्रमुख शहरों में कर्फ्यू के आदेश भी दिए गए हैं।
क्यों है विवाद
नागरनो-काराबख इलाके को लेकर ये पूरा विवाद है, जो कि अभी अजरबैजान में पड़ता है, लेकिन अभी आर्मीनिया की सेना का यहां पर कब्जा है। करीब चार हजार वर्ग किमी. का ये पूरा इलाका पहाड़ी है, जहां तनाव की स्थिति बनी रहती है। मौजूदा तनाव 2018 में शुरू हुआ था, जब दोनों सेना ने सीमा से सटे इलाके में अपनी सेनाओं को बढ़ा दिया था। अब ये तनाव युद्ध का रूप ले चुका है।
ईरान की मध्यस्थता की पेशकश
ईरान की सीमा अजरबैजान और आर्मीनिया दोनों से ही सटी है। ईरान ने दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करने के लिए मध्यस्थ की भूमिका निभाने की पेशकश भी की है।
लड़ाई तत्काल बंद हो
दोनों देशों के बीच छिड़े इस विवाद पर दुनिया भर से देशों से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। रविवार को तुर्की के राष्ट्रपति राष्ट्रपति रिसप तैयब एर्दोआन ने अजरबैजान का समर्थन करने की घोषणा की। वहीं, रूस ने आर्मीनिया और अजरबैजान से तत्काल संघर्षविराम करने, दोनों पक्षों को संयम बरतने और बातचीत से मसले को सुलझाने को कहा है। दूसरी ओर अमेरिका ने कहा कि उसने दोनों देशों से तुरंत लड़ाई बंद करने के साथ ही विवादित बयानों, कार्रवाइयों से बचने का आग्रह किया है। वहीं, फ़्रांस ने दोनों देशों से संघर्षविराम और बातचीत का आग्रह किया है।
भारत से चार हजार किमी दूर
कभी सोवियत संघ का हिस्सा रहे ये दोनों ही देश एक दूसरे के पड़ोसी हैं। दोनों देश ईरान और तुर्की के बीच में पड़ते हैं। भारत से करीब चार हजार किमी दोनों देश दूर हैं।