नई दिल्ली। ग्रामीण इलाकों में भी अब विशेषज्ञ डॉक्टर उपलब्ध होंगे। दूर-दराज के इलाके में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को देखते हुए राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड ने दो साल का डिप्लोमा कोर्स शुरू किया है। चिकित्सा में स्नातक करने और किसी जिला अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टर इस डिप्लोमा कोर्स में एडमिशन ले सकते हैं। दो साल तक काम के साथ-साथ पढ़ाई के बाद उन्हें चिकित्सा के एक क्षेत्र में डिप्लोमा की डिग्री दी जाएगी।
राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि फिलहाल आठ क्षेत्रों में डिप्लोमा कोर्स को मंजूरी दी गई है। इनमें एनेस्थीसिया, स्त्री रोग, बाल चिकित्सा, पारिवारिक चिकित्सा, आंख, ईएनटी, रेडियोलॉजी और टीबी और छाती रोग शामिल हैं। फिलहाल यह कोर्स सिर्फ जिला अस्पतालों में काम कर रहे स्नातक डॉक्टरों के लिए उपलब्ध होगा। लेकिन बाद में इसका दायरा बढ़ाया भी जा सकता है। उन्होंने कहा कि नीट परीक्षा के जरिये ही इन डिप्लोमा कोर्स के लिए चयन किया जाएगा। लेकिन इसके लिए आवेदन वही स्नातक डाक्टर कर पाएंगे, जो किसी जिला अस्पताल में कार्यरत होंगे।
अधिकांश डॉक्टर महानगरों में हैं सिमटे
वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार जिला अस्पताल में काम करते हुए डिप्लोमा करने वाले ये डॉक्टर उसी अस्पताल में काम कर रहे विशेषज्ञ डॉक्टरों के मातहत पढ़ाई करेंगे और प्रैक्टिस करेंगे। इस तरह से काम करते हुए ये अपने-अपने क्षेत्र में विशेषज्ञता की एक श्रेणी तक पहुंच जाएंगे। उन्होंने कहा कि जिन आठ क्षेत्रों को इसके लिए चुना गया है, उनमें अधिकांश विशेषज्ञ डॉक्टर शहरों में और खासकर महानगरों में सिमटे हुए हैं। इस कारण ग्रामीण इलाकों में लोगों को उचित इलाज नहीं मिल पाता है। जिला अस्पतालों में काम कर रहे स्नातक डॉक्टर दो साल तक डिप्लोमा करने के बाद अपने-अपने इलाकों में इस कमी को पूरा कर सकेंगे।