लखनऊ । अब सूबे का हर एक बच्चा शिक्षित होगा। गंभीर दिव्यांग बच्चे भी शिक्षा से वंचित नहीं रहेंगे। उन्हें घर पर ही शिक्षा और इसके लिए सारी सुविधाएं मिलेंगी। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहली बार यह व्यवस्था शुरू की गई है। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने ‘समर्थ’ नाम से मोबाइल एप विकसित किया है।
बुधवार को राम मनोहर लोहिया विधि विवि में आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार-मिशन प्रेरणा एवं सीएसआर कॉनक्लेव में यह जानकारी सामने आई। पहले चरण में दिव्यांग बच्चों के चिन्हांकन के लिए 47 जनपदों में इतने ही फिजियोथेरेपिस्ट और 2200 स्पेशल एजुकेटर नियुक्त किए जा रहे हैं। जो दिव्यांग बच्चे घर पर ही बिस्तर पर रहते हैं, स्कूल जाने में असमर्थ हैं यह फिजियोथेरेपिस्ट और स्पेशल एजुकेटर उन्हें चिह्न्ति करेंगे। उनका पूरा ब्योरा ‘समर्थ’ एप पर फीड करेंगे। इन बच्चों का सारा डाटा ऑनलाइन किया जाएगा।
तीन तरह के बच्चों को किया जाएगा शिक्षित : ’ दृष्टि दिव्यांग ’ बौद्धिक दिव्यांग ’ मूक-बधिर ।
विद्यालय में 70 फीसद हाजिरी पर दिव्यांग बच्चे को प्रति माह 500 रुपये
जो दिव्यांग बच्चे अपने अभिभावकों अथवा किसी अन्य की मदद से क्षेत्र स्थित परिषदीय विद्यालयों में जाकर शिक्षा ग्रहण करेंगे। उनकी उपस्थिति 70 फीसद रही तो उन्हें प्रति माह पांच सौ रुपये बतौर एस्कार्ट अलाउंस मिलेंगे। यह सुविधा एक साल तक होगी।
घर आएंगे शिक्षक, पढ़ाने का तरीका भी अलग
डाटा फीडिंग के बाद परिषदीय विद्यालयों के शिक्षक दिव्यांग बच्चों के घर जाकर उन्हें शिक्षित करेंगे। उन्हें पढ़ाने के लिए कुछ विशेष तरीके भी प्रयोग किए जाएंगे। पहले चरण में तीन लाख बच्चों की डिटेल्स जियो टैगिंग का लक्ष्य है। हालांकि जनगणना-2011 के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में दिव्यांग बच्चों की संख्या करीब छह लाख आंकी जा रही है। 2020 तक 80 फीसद दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने का लक्ष्य है।
समेकित शिक्षा राज्य सलाहकार आरएन सिंह ने बताया कि ‘समर्थ’ एप पर काम शुरू हो गया है। पहले चरण में सूबे के 47 जनपदों के दिव्यांग बच्चों का चिह्नंकन किया जा रहा है। उन्हें उनकी स्थिति के अनुसार शिक्षित किया जाएगा। वर्ष 2020 तक 80 फीसद दिव्यांग बच्चों को शिक्षित करने का लक्ष्य है।