नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों की अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति देने के अपने 2018 के फैसले को लागू करने से संबंधित मुद्दे को भारत के मुख्य न्यायाधीश प्रशासनिक पक्ष से निपटा सकता है। इस मुद्दे पर किसी भी न्यायिक आदेश को पारित करने से इनकार करते हुए, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि सीजेआई के लिए प्रशासनिक पक्ष से इस मुद्दे से निपटना उचित होगा।
शीर्ष अदालत के महासचिव की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने पीठ को सूचित किया कि 2018 के फैसले को लागू करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। वहीं, अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को बताया (जिसमें जस्टिस विनीत सरन और एम आर शाह भी शामिल हैं) कि महासचिव ने लाइव स्ट्रीमिंग के लिए बुनियादी ढांचा स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
पीठ ने कहा, ‘प्रशासनिक पक्ष पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कोई कमान नहीं हो सकती है। सीजेआई को इस मुद्दे पर प्रशासनिक पक्ष से बात करनी होगी।’ वहां पीठ द्वारा पूछा गया कि क्या कोर्ट को कोई आदेश न्यायिक तरीके से दिया जा सकता है? वहीं अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में सेकेट्री जनरल को आदेश दे सकता है कि वो गाइडलाइन तैयार करे। अदालत संसद को आदेश नहीं दे सकती, लेकिन खुद ये कदम उठा सकती है।