अफगान महिलाओं के एक समूह ने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि वो तालिबान को संस्था के अंदर ना आने दे। तालिबान चाह रहा है कि उसके प्रवक्ता सुहैल शाहीन को संयुक्त राष्ट्र में उसके राजदूत के रूप में मान्यता दी जाए। अफगान महिलाओं का यह समूह यह अपील ले कर न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय गया हुआ है। वहां महिलाओं ने संस्था से अपील की उनके देश को संस्था में बेहतर प्रतिनिधित्व की जरूरत है. अफगानिस्तान की पूर्व राजनेता और शांति वार्ताकार फौजिया कूफी ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बाहर पत्रकारों को बताया, “यह बहुत ही सीधी बात है। संयुक्त राष्ट्र को यह सीट उसी को देनी चाहिए जो अफगानिस्तान में सबके अधिकारों का सम्मान करता हो” तालिबान ने तोड़ा वादा अफगान महिलाओं के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा, “हमारे बारे में बातें बहुत होती हैं, लेकिन हमारी आवाज सुनी नहीं जाती” उन्होंने यह भी कहा, “मदद, पैसा, मान्यता – यह सब वो चीजें हैं जिनका लाभ उठा कर दुनिया को समावेश, महिलाओं के अधिकारों के सम्मान और सभी के अधिकारों के सम्मान की बात करनी चाहिए” कूफी के साथ पूर्व राजनेता नाहिद फरीद, पूर्व राजनयिक असीला वरदक और पत्रकार अनीसा शाहीद भी थीं। फरीद ने कहा, “जब तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया था तब उन्होंने कहा था कि वो महिलाओं को नौकरी करने की, स्कूल में पढ़ने की इजाजत देंगे लेकिन उन्होंने अपना वादा तोड़ दिया” अगस्त में सत्ता हथियाने के बाद तालिबान के नेताओं ने वचन दिया है कि वो इस्लामिक कानून शरिया के मुताबिक महिलाओं के अधिकारों का सम्मान करेंगे। लेकिन 1996 से 2001 के बीच तालिबान के शासन के दौरान महिलाओं काम नहीं कर सकती थीं और लड़कियों के स्कूल जाने पर प्रतिबंध था। महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर अपने चेहरे ढक लेने होते थे और एक पुरुष रिश्तेदार को साथ रखना होता था ।
मिल जाएगी संयुक्त राष्ट्र में सीट? संयुक्त राष्ट्र इस समय अफगानिस्तान के प्रतिनिधित्व को लेकर प्रतियोगी दावों पर विचार कर रहा है। तालिबान ने दोहा में रहने वाले उसके प्रवक्ता सुहैल शाहीन को संयुक्त राष्ट्र में राजदूत के लिए मनोनीत किया है जबकि तालिबान द्वारा हटाई गई सरकार के संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधि गुलाम इसकजाई ने पद पर रहने का दावा किया है। संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को साल के अंत तक इस पर फैसला लेना है। वरदक ने सदस्य देशों से कहा कि वो तालिबान पर दबाव डालें कि वो महिलाओं के अधिकारों के विषय में “अपनी कथनी को करनी में बदले”। उन्होंने यह भी कहा, “अगर आप उन्हें सीट देने वाले हैं तो उनके सामने शर्तें रखें” ये महिलाएं पत्रकारों से संयुक्त राष्ट्र एक आयोजन के पहले बात कर रही थीं जिसमें अफगान महिलाओं और लड़कियों के लिए समर्थन पर बात होनी है। इस बैठक का आयोजन ब्रिटेन, कतर, कनाडा, यूएन वीमेन और जॉर्जटाउन इंस्टीट्यूट फॉर वीमेन, पीस एंड सिक्योरिटी ने किया है। महिलाएं, शांति और समृद्धि पर चर्चा करने के लिए सुरक्षा परिषद की भी अलग से बैठक हुई। 15 सदस्यीय परिषद को इसकजाई ने बताया, “अफगानिस्तान की महिलाओं और लड़कियों ने इसी परिषद और संस्था से अपनी उम्मीदें और सपने बांधे हुए हैं कि वो काम करने, यात्रा करने और स्कूल जाने के अधिकार फिर से हासिल करने में उनकी मदद करेंगे” उन्होंने कहा, “अगर हम कुछ नहीं कर पाए और उन्हें निराश कर दिया तो यह नैतिक रूप से निंदनीय होगा” ।